ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसी माह 21 जून को अमेरिका की यात्रा पर जा रहे हैं। वहां वह 22 जून को अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को दूसरी बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बनेंगे। पीएम मोदी की यह यात्रा रणनीतिक साझेदारी का दायरा बढ़ाएगी। यह नए भारत की गवाह बनेगी और दुनिया को ‘नए सकंल्पों का नया भारत’ नजर आएगा। यह यात्रा भारत के साथ अमेरिका के संबंधों को दुनिया में सबसे बेहतर भी साबित करेगी।
अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के बाद दूसरे नंबर पर हैं। नेतन्याहू ने यह सम्मान तीन बार हासिल किया है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला विश्व के उन कुछ नेताओं में शामिल हैं जिन्हें दो बार अमेरिकी संसद को संबोधित करने का सम्मान प्राप्त हुआ है। राष्ट्रपति जो बाइडन, प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा पर उनकी मेजबानी करेंगे जिसमें 22 जून को एक राजकीय रात्रिभोज भी शामिल है।
– मोदी अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को दूसरी बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे, करीबी साझेदारी की होगी पुष्टि
– भारत-अमेरिका संबंध तेजी से बढ़े आगे
– हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सीमित करने के होंगे साझा प्रयास
जिल बाइडन करेंगी राजकीय रात्रिभोज की मेजबानी। पीएम मोदी को यह सम्मान दर्शाता है कि इस प्रकार का अवसर केवल अमेरिका के निकटतम सहयोगियों को ही दिया जाता है। उनके आगमन पर मोदी का आधिकारिक स्वागत किया जाएगा और वे द्विपक्षीय बैठकें और प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी करेंगे। लगभग एक दशक पहले नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से भारत-अमेरिका संबंध तेजी से आगे बढ़े हैं। अमेरिका के साथ सुरक्षा और आर्थिक संबंध भी स्पष्टत: नए रूप में दिखाई दे रहे हैं।
साथ ही व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को सीमित करने वाले साझा हितों के लिए प्रयास तेज हुए हैं और आतंकवाद व सुरक्षा सहयोग जैसे मुद्दों पर सहयोग को नई ऊंचाइयां देने लिए भी गंभीरता से कदम उठाए जा रहे हैं। इस बीच बाइडन प्रशासन ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के दायरे को और व्यापक बनाने और दो दशकों के गहन रणनीतिक संबंधों के बाद एक साझा सुरक्षा संरचना में भारत के एकीकरण को गहरा तथा मजबूत करने की मांग की है। व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि राष्ट्रपति और प्रथम महिला 22 जून को राजकीय यात्रा के लिए पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं। यह अमेरिका-भारत के बीच गहरी और करीबी साझेदारी की पुष्टि करने का अवसर होगा।
मोदी की यात्रा भी अमेरिका के लिए किसी भी नेता की सबसे लंबी यात्रा होगी। इसलिए, कई मायनों में यह यात्रा उस प्रमुखता का एक महत्वपूर्ण संकेत देती है जो अमेरिका के भारत के साथ अपने संबंधों के अनुरूप है। पीएम मोदी की राजकीय यात्रा से पहले अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन द्विपक्षीय रक्षा सहयोग, विशेष रूप से सैन्य सह-विकास के लिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के क्षेत्रों में बहुप्रतीक्षित समझौतों के लिए जमीनी कार्य करने के तरीकों का पता लगाने के लिए भारत की दो दिवसीय यात्रा पर थे।
पिछले साल द्विपक्षीय व्यापार 191 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के साथ ही यूएस- इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) भी इंडस-एक्स सम्मेलन की मेजबानी करेगा जो मोदी की यात्रा के साथ वाशिंगटन में दो दिनों के लिए निर्धारित है। नई दिल्ली के साथ वाशिंगटन के गहरे होते संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए भी अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
साझा भू-रणनीतिक हितों के साथ-साथ व्यापार और निवेश का प्रवाह दोनों देशों के बीच बढ़ा है और दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति और मुखरता दोनों के लिए चिंता का विषय है। चीन- भारत सीमा सहित चीन की क्षेत्रीय मुखरता के बारे में अमेरिकी प्रशासन की बढ़ती चिंताओं ने अमेरिका- भारत सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत किया है।