ब्लिट्ज ब्यूरो
वाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हाल ही में कुछ ऐसे एक्सोप्लानेट्स (ग्रह) की खोज की है जिनकी तह के नीचे विशाल महासागर होने की संभावना है। इसके साथ ही इनकी बर्फीली सतह के नीचे जीवन की मौजूदगी होने की भी संभावना है। एक्सोप्लानेट भी सूर्य जैसे तारे का चक्क र लगाने वाले ग्रह होते हैं। बता दें कि दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां ब्रह्मांड के दूसरे ग्रहों पर जीवन की तलाश कर रही हैं। नासा भी उनमें से एक है।
महासागरों का पानी कभी-कभी सतह से बाहर भी आता है
वैज्ञानिकों का मानना है कि कुछ ग्रह भले ही बहुत ज्यादा ठंडे हों लेकिन उनकी बर्फीली सतह के नीचे जीवन होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। नासा का कहना है कि, ‘इन महासागरों का पानी कभी-कभी बर्फ की परत के जरिए गीजर के रूप में सतह से बाहर निकलने लगता है। वैज्ञानिकों की टीम ने इन एक्सोप्लानेट पर गीजर गतिविधि की मात्रा की गणना की है जिससे पहली बार ये अनुमान लगाया गया है। बता दें कि इन 17 एक्सोप्लैनेट्स की खोज नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की डॉ लिने क्विक के नेतृत्व वाली टीम ने की है।
– बर्फीली सतह के नीचे जीवन की मौजूदगी की भी संभावना
शोध भी किया
उन्होंने इन एक्सोप्लानेट को लेकर एक शोध भी किया है जिसमें इनके बारे में विस्तार से बताया गया है।
किस चीज पर किया गया शोध
नासा की टीम ने अपने शोध में इस बात पर फोकस किया कि ‘हैबिटेबल जोन’ ( जहां जीवन की मौजूदगी की संभावना हो) के बजाय हमें ठंडे एक्सोप्लानेट्स पर जीवन ढूंढ़ने के लिए काम करना चाहिए।
इसमें कहा गया कि ठंडे ग्रहों की बर्फीली सतह के नीचे महासागरों की मौजूदगी हो सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारे सौरमंडल में मौजूद यूरोपा और इंक्लेडस नाम के चंद्रमाओं पर भी ऐसा ही होता है।
सूर्य से रेडियोएक्टिव तत्व की मदद
वैज्ञानिकों की टीम में शामिल डॉ. लिने क्विक का कहना है कि हमारे विश्लेषण के मुताबिक, इन 17 बर्फीली दुनियाओं में बर्फ से ढकी सतहें मौजूद होने की संभावना है। मगर इन ढकी सतहों के नीचे मौजूद महासागरों में पानी को जमने से बचाने के लिए इनको सूर्य से रेडियोएक्टिव तत्व और ज्वार बल की मदद मिलती होगी जिनकी मदद से इतनी हीटिंग मिल रही होगी, जो पानी को आसानी से जमने नहीं देती होगी। यही वजह है कि हीटिंग के चलते कई बार महासागरों का पानी सतह को चीरकर बाहर भी निकल रहा है।
इन ग्रहों पर मौजूद हो सकता है जीवन
वैज्ञानिकों ने जिन एक्सोप्लानेट्स की खोज की है, उनकी बनावट के बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। हालांकि पानी की मौजूदगी की बात कही गई है जो इस बात की ओर संकेत देती है कि इन ग्रहों पर जीवन हो सकता है। इस बात की भी संभावना है कि इन ग्रहों पर अभी जीवन बैक्टीरिया और माइक्रोब्स के रूप में मौजूद हो।