ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। मौसम विभाग द्वारा 2024 के मॉनसून को लेकर जारी पूर्वानुमान के मुताबिक इस साल करीब 106 फीसदी बारिश की संभावना है। हालांकि इसमें 5 फीसदी कम-ज्यादा हो सकता है। पूर्वानुमान के मुताबिक पिछले 50 साल के आंकड़ों के अनुसार इस साल भारत में 87 सेमी बारिश होने की उम्मीद है। क्या अपने कभी सोचा है कि मॉनसून का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है ? भारत की 64 प्रतिशत जनसंख्या तो मूलतः कृषि पर ही आश्रित है और 65 फीसदी भारतीय कृषि उपज मॉनसून पर निर्भर है।
कृषि व अर्थव्यवस्था समान रूप से आश्रित : कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ होने के कारण मॉनसून यहां की कृषि व अर्थव्यवस्था, दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। वास्तव में, मानसून अक्स है जिसके आसपास भारत की अर्थव्यवस्था घूमती है।
सोने से ज्यादा कीमती पानी : भारतीय किसानों के लिए सोने की तुलना में पानी ज्यादा कीमती होता है क्योंकि कम से कम 50 प्रतिशत कृषि को पानी, बारिश से मिलता है। अगर मॉनसून पक्ष में है तो किसानों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है लेकिन अगर अपेक्षित बारिश नहीं हुई तो वस्तुओं की मांग में बढ़ोतरी होगी और ‘महंगाई डायन’ आ घेरेगी। तब इंडस्ट्री प्रोडक्ट्स में कमी आ सकती है क्योंकि इंडस्ट्री को कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो पायेगी।
देश की जीडीपी से गहरा नाता : मॉनसून का देश की जीडीपी पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसका भारतीय जीडीपी में करीब 20.5 प्रतिशत का योगदान होता है। अगर मॉनसून असफल रहता है तो देश की ग्रोथ और इकॉनमी पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। सामान्य से ऊपर मॉनसून रहने पर कृषि उत्पादन और किसानों की आय, दोनों में बढ़ोतरी होती है, जिससे ग्रामीण बाज़ारों में उत्पादों की मांग को बढ़ावा मिलता है।



















