ब्लिट्ज ब्यूरो
भोपाल। मध्य प्रदेश में लाडली बहना योजना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैजिक कायम रहा। भाजपा ने पहली बार राज्य की सभी 29 लोकसभा सीटों पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस शून्य पर आउट हो गई और राज्य कांग्रेस मुक्त हो गया।
पिछले चार दशक से अधिक समय से जिस छिंदवाड़ा सीट पर पूर्व सीएम कमलनाथ का प्रभाव था, उसे भी इस वार भाजपा ने जीत लिया है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ तक चुनाव हार गए। ऐसे में माना जा रहा है कि इन दोनों ही नेताओं का राज्य में सियासी दौर भी अब खत्म हो जाएगा। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को पहले मैच में ही जोरदार पटखनी मिली है। पूरे चुनाव के दौरान भाजपा की रणनीति के सामने कांग्रेस ध्वस्त नजर आई।
कांग्रेस को नया नेतृत्व विकसित न करने का नुकसान साफ तौर पर इस चुनाव में नजर आया। मध्य प्रदेश की 29 सीटों को जीतने में किस तरह भाजपा सफल रही। पीढ़ी परिवर्तन के दौर में मोहन यादव ने मारी बाजी… राज्य में कांग्रेस और भाजपा में पीढ़ी परिवर्तन के बाद का यह पहला चुनाव था। मुख्यमंत्री मोहन यादव के लिए भी लोकसभा का यह पहला चुनाव था, जिसमें मध्य प्रदेश (29 सीट) मिलीं।
उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया। शिवराज को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मोहन यादव पूरे कुनबे को जोड़े रखने का काम किया।
शिवराज के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी साधने का काम किया। इतना ही नहीं, जिस तरह से कांग्रेस के विधायक और कार्यकर्ताओं को भाजपा में शामिल कराया, उसका भी एक बड़ा सियासी संदेश गया। इसके साथ ही कमलनाथ के बेहद करीबी नेताओं के कमल का दामन थामने का लाभ भी पार्टी को मिला।
लाडली बहनों का मिला साथ
राज्य में महिलाओं ने एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दिया है। चुनाव के दौरान महिलाएं लाडली बहना स्कीम पर खुलकर बोलती नजर आई। महिलाओं के खाते में सीधे पैसे जा रहे हैं और उसका लाभ भी उन्हें मिल रहा।



















