विनोद शील
2024 के आम चुनाव से पहले आए पांच राज्य के विधानसभा चुनावों के परिणामों में अनेक संदेश छिपे दिखाई दे रहे हैं। धर्म, सामाजिक परिस्थितियां, सफल अर्थ नीति एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चमकदार ब्रांडिंग 2024 के आम चुनाव के संभावित नतीजों को बयां सी करती नजर आ रही है। लोकतंत्र की एक सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें राजनीति का खेल अत्यधिक रोमांच से भरा होता है। सत्तापक्ष हो या विपक्ष; वोटर के मन में क्या चल रहा है और मतदान के समय वह किसे अपना मत देगा, इस संबंध में कोई भी विशेषज्ञ अंतिम समय तक कुछ भी नहीं कह सकता। यह बात दीगर है कि जब चुनाव परिणाम सामने आते हैं तब आशंकाओं से भरी तस्वीर बिल्कुल साफ हो जाती है। किसी को जीत तो किसी को हार का सामना करना पड़ता है परंतु अगर कोई दल इन परिणामों पर वास्तविक मंथन नहीं करता तो निश्चित रूप से वह आगे आने वाले चुनावों में खुद के लिए अपनी हार की नई जमीन बहुत पहले से ही तैयार कर लेता है। ऐसा ही कुछ देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस और विपक्षी दल, पांच राज्यों के आए चुनाव परिणामों के बाद करते नजर आ रहे हैं।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं जबकि भाजपा नेताओं ने उनका उपहास उड़ाते हुए कहा कि वे (विपक्षी नेता) अपनी कमियों को छिपाने के लिये बहाने तलाश रहे हैं। हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में हिंदी पट्टी के तीन राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी को मिली बड़ी जीत के बाद कई विपक्षी नेताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को फिर सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि कुछ ने कहा कि उन्हें ईवीएम पर भरोसा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जब भी वे चुनाव जीतने में असफल होते हैं, तो ईवीएम को दोष देते हैं। उन्होंने कहा, “नया कुछ भी नहीं है। विपक्ष, चाहे कोई भी हो, जब जीतता है तो उसे ईवीएम से कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन जब हारता है, तो इसका ठीकरा ईवीएम पर फोड़ता है।” अगर ईवीएम के इतिहास पर नजर दौड़ाएं तो इन ईवीएम के दम पर ही आम आदमी पार्टी (आप) ने दिल्ली में तीन बार और पंजाब में एक बार चुनाव जीता, 2012 में समाजवादी पार्टी (सपा) को उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिला, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को 2007 में उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत मिला और कांग्रेस ने अभी इन्हीं ईवीएम से आए चुनाव परिणामों से तेलंगाना में जीत हासिल की। इसी वजह से सत्तापक्ष के नेता विपक्ष पर निशाना साधते हुए कह रहे हैं, “नाच न जाने आंगन टेढ़ा।”
3 राज्यों की जीत पर सवाल है तो तेलंगाना में क्या
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद चिराग पासवान ने कहा कि विपक्ष पुरानी बात दोहरा रहा है। उन्होंने कहा, “इसमें कोई नई बात नहीं है, लेकिन अगर आप तीन राज्यों में सवाल उठा रहे हैं, तो तेलंगाना की जीत पर भी सवाल उठाएं। यह घिसा-पिटा फार्मूला है। आपको अपनी हार को स्वीकार करने और समझने की जरूरत है।”ईवीएम का इस्तेमाल लंबे समय से किया जा रहा है। ईवीएम पिछले 18-19 साल से है। ऐसा लगता है कि विपक्ष को मतदाताओं पर भरोसा नहीं है? मुझे लगता है कि बार-बार हार के बाद भी विपक्ष द्वारा इसे उठाना हास्यास्पद है। अब यह सबको पता था कि विपक्ष ईवीएम को दोष देगा। ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्ष के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है क्योंकि उनके तथाकथित भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण को शायद लोगों ने खारिज कर दिया है, इसलिए वे ऐसी अपरिपक्व बातें कह रहे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट भी ईवीएम को लेकर पहले ही विपक्ष की दलीलें खारिज कर चुका है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी की हार के बाद कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया था। हार के बाद टीम कांग्रेस में ‘ठीकरा फोड़ो खेल’ शुरू हो गया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की मानें तो ईवीएम की वजह से कांग्रेस चुनाव हार गई। इधर संसद के शीतकालीन सत्र के साथ-साथ सदन में होने वाले हंगामों की शुरुआत भी हो चुकी है। 5 दिसंबर को कार्यवाही के दौरान द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी के सांसद सेंथिल कुमार की टिप्पणी पर विवाद हो गया। लोकसभा में उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब सेंथिल कुमार ने लोकसभा में बीजेपी की प्रचंड जीत पर विवादित बयान दे डाला। उन्होंने कहा, बीजेपी की मुख्य ताकत हिंदी पट्टी के राज्यों में चुनाव जीतने की है। उन राज्यों को हम गोमूत्र राज्य कहते हैं। आप दक्षिण भारत में नहीं आ सकते हैं। डीएमके सांसद के इस बयान से हालांकि कांग्रेस ने पल्ला झाड़ते हुए कहा है कि हम सभी की गौ माता में आस्था है। हमारा डीएमके सांसद के बयान से कोई लेना-देना नहीं है पर इससे विपक्ष को जो नुकसान हो सकता था, वह संभवत: हो चुका है। वैसे सदन के रिकार्ड से भी इस कथन को निकाल दिया गया है।
सेंथिल कुमार के बयान पर बीजेपी हुई हमलावर
डीएमके नेता की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने कहा, तीनों राज्यों की जनता ने भाजपा को वोट दिया है और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा है। जो लोग ऐसे बयान देते हैं ये उनकी ओछी मानसिकता को दर्शाता है। बीजेपी सांसद जगन्नाथ सरकार ने भी कहा, बीजेपी को पूरे देश में स्वीकार किया जाता है। जो भी इस तरह का बयान देता है, उसे अपने ज्ञान को बढ़ाने की जरूरत है। कुल मिला कर यह कहा जा सकता है कि व्यर्थ के बयानों से कांग्रेस या विपक्षी दल भाजपा या पीएम नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकते।