ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। देश में काजू का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र काजू की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए गोवा सरकार की तरह नियम बनाने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार काजू किसानों से सुझाव मांगेगी और उसी के आधार पर धनराशि आवंटित की जाएगी।
महाराष्ट्र के विपणन मंत्री अब्दुल सत्तार ने कहा कि राज्य में काजू की कीमतों में गिरावट के कारण इसे उगाने वाले किसानों को मुआवजा देने के लिए गोवा की तर्ज पर सब्सिडी देने का प्रस्ताव पेश किया गया है। विधान भवन में काजू प्रसंस्करण उद्योग और काजू बीज सब्सिडी के संबंध में आयोजित बैठक में सत्तार ने कहा कि राज्य के सिंधुदुर्ग , रत्नागिरी, रायगढ़, कोल्हापुर जिलों और कोंकण से जुड़े इलाकों में काजू बड़ी मात्रा में उगाया जाता है लेकिन क्योंकि काजू फसल की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है और इसकी कीमत हर साल अस्थिर होती है, व्यापारी कम दरों पर काजू खरीदते हैं, इसलिए काजू किसानों को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ रहा है।
प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया
सत्तार ने कहा कि काजू की खेती में सुधार के लिए किसानों और जन प्रतिनिधियों से सुझाव मांगे जायेंगे। साथ ही काजू उत्पादन और उत्पादन लागत का तीन वर्षों तक अध्ययन कर किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कितनी धनराशि आवंटित की जाए, इसका प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
– कृषकों और जन प्रतिनिधियों से मांगे जाएंगे सुझाव
देश का 32.9 फीसदी काजू उत्पादन यहां
कृषि मंत्रालय के अनुसार महाराष्ट्र में देश के सबसे ज्यादा यानी 32.9 फीसदी काजू का उत्पादन होता है। आंध्र प्रदेश में 14.3 फीसदी, ओडिशा में 12 , कर्नाटक में 10.9 , केरल में 10.8 व तमिलनाडु में 8.7 फीसदी काजू का उत्पादन होता है। ये 6 राज्य देश के करीब 90 फीसदी काजू का उत्पादन करते हैं। कृषि क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक महाराष्ट्र में करीब 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर काजू की खेती की जाती है।
कच्चा काजू पैदा करने में भारत दूसरे स्थान पर
कच्चा काजू पैदा करने में भारत दूसरे स्थान पर है जबकि पहले नंबर पर आइवरी कोस्ट का नाम है। काजू की प्रोसेसिंग में भारत का स्थान पहला है। देश के पश्चिमी और पूर्वी तटीय इलाकों में इसकी पैदावार सबसे ज्यादा होती है। जमीनी क्षेत्र की बात करें तो महाराष्ट्र में बड़ी मात्रा में उत्पादन किया जाता है। यहां सालाना 2,25,000 टन तक काजू का उत्पादन किया जाता है।