अमित सचदेवा
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने वृक्षों के रक्षण और पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिए एक अभिनव रास्ता दिखाया है।
न्यायमूर्ति वजीरी ने पारंपरिक दंड पद्धति से इतर अपने निर्णयों के भाग के रूप में पौधारोपण के निर्देश को भी शामिल किया है। जो लोग निर्धारित समय सीमा के भीतर न्यायालय के निर्देशों का पालन करने में असमर्थ रहते हैं, उन्हें ऐसे ही कार्य सौंपे जाते हैं। 2018 से अब तक इस अभूतपूर्व पहल के अंतर्गत दिल्ली में लगभग तीन लाख पौधों का रोपण किया जा चुका है।
इस कार्यक्रम के अंतर्गत अन्य उद्यानों के साथ ही दो स्थलों, इंसाफ बाग ( न्याय वाटिका ) तथा माफी बाग (क्षमा वाटिका ) की स्थापना की गई है। यह पहल लोगों को पौधरोपण द्वारा अपने आचरण में सुधार का अवसर देती है। अभी हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दो सरकारी अधिकारियों को दी गई सजा वृक्षों के संरक्षण के लिए अदालत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इन दोनों अधिकारियों को दिल्ली में न्यायालय के वृक्षों के संरक्षण संबंधी निर्देशों की अवमानना का दोषी पाया गया था।
ऐसे आदेश संविधान के अनुच्छेद 215 और 226 के अंतर्गत न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग करने हेतु मिसाल की तरह हैं। अनुच्छेद 215 न्यायालय को कोर्ट आफ रिकॉर्ड का दर्जा देता है और उसको उसके स्वयं के अधिकार की अवमानना करने वाले लोगों को दंडित करने का अधिकार देता है। वहीं दूसरी ओर अनुच्छेद 226 भारत में उच्च न्यायालयों को उनके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत किसी भी सरकार, प्राधिकरण या व्यक्ति को निर्देश, निर्णय अथवा रिट जारी करने का अधिकार देता है।
आज जबकि वैश्विक समुदाय का ध्यान जलवायु और पर्यावरण संबंधी विषयों की ओर अधिक तीव्रता से केंद्रित हुआ है, न्यायमूर्ति वजीरी का अभिनव दृष्टिकोण परिवर्तन के लिए एक स्वागत योग्य उत्प्रेरक के रूप में सामने आया है। इस नवीन पहल में सारे विश्व के न्यायालयों को समान दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित करने की क्षमता है। पर्यावरणीय विचारों को न्यायिक प्रक्रियाओं के साथ एकीकृत करके, अदालतें जलवायु परिवर्तन का समाधान करने में महती भूमिका निभा सकती हैं। न्यायमूर्ति वजीरी की पहल ने दिल्ली में अपने शुभारंभ से अब तक, लगभग तीन लाख वृक्षों के रोपण के साथ ही महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए हैं। इसके अतिरिक्त ‘इंसाफ बाग’ तथा ‘माफी बाग’ की स्थापना इस पहल के उद्देश्यों के साकार प्रतीक हैं।
न्यायमूर्ति नजमी वजीरी का पाप मुक्ति के माध्यम के रूप में वृक्षारोपण का अभिनव दृष्टिकोण महात्मा गांधी द्वारा प्रतिपादित पर्यावरण संबंधी विचारों को प्रतिध्वनित करता है।