ब्लिट्ज ब्यूरो
अस्ताना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूस दौरे को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के संबंधों को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए मोदी-पुतिन की मुलाकात एक अहम अवसर है। रूस के साथ संबंधों में हुए बदलावों को लेकर उन्होंने कहा कि आर्थिक संबंधों में हुआ जबरदस्त सुधार दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच अच्छे तालमेल के असर के तौर पर देखा जा सकता है।
वार्षिक शिखर सम्मेलन में देरी को लेकर जयशंकर ने कहा, हमारे वार्षिक शिखर सम्मेलन में थोड़ी देरी जरूर हुई, मगर यह एक अच्छी परंपरा है। हम दो देश हैं जिनका एक साथ काम करने का मजबूत इतिहास रहा है।
जयशंकर ने कहा, पिछले साल जब मैं मॉस्को गया था, तो मैं प्रधानमंत्री का संदेश लेकर गया था कि हम वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रतिबद्ध हैं और हम इसे जल्द से जल्द करेंगे। यह एक नियमित पुनरावृत्ति है। यह किसी भी रिश्ते का जायजा लेने का एक तरीका है।
रूसी सेना में भारतीयों को जबरन शामिल करना बर्दाश्त नहीं
रूसी सेना में भारतीयों को जबरन शामिल करने के लिए उनके साथ की जाने वाली धोखाधड़ी को लेकर जयशंकर ने कहा कि इस मुद्दे पर भारत का रुख साफ है कि कोई भी भारतीय रूसी सेना के लिए नहीं लड़ेगा। अस्ताना में संघाई सहयोग संगठन से इतर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन संघर्ष क्षेत्र में फंसे भारतीयों का मुद्दा उठाया है। इस दौरान पूरी स्पष्टता और दृढ़ता से रूस को संदेश दिया गया है कि यह पूरी तरह अस्वीकार्य
क्या है भारत-रूस समिट ?
– यह समिट दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सबसे अहम संवाद तंत्र है।
– यह सालाना समिट बारी-बारी से भारत और रूस में आयोजित किया जाता है।
– 21 समिट अब तक आयोजित हो चुके हैं।
पिछला समिट 6 दिसंबर, 2021 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।
– 2022 में पीएम मोदी और पुतिन के बीच आखिरी द्विपक्षीय बैठक समरकंद में एससीओ समिट के इतर हुई थी।
– मोदी ने पुतिन पर दबाव डालते हुए कहा था, ‘आज का युग युद्ध का नहीं है।है कि कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी युद्ध क्षेत्र में किसी दूसरे देश की सेना में शामिल हो। इस पर रूसी नेतृत्व ने भारत के रुख का समर्थन किया है।



















