विनोद शील
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। भारतीय अर्थव्यवस्था भी राकेट की रफ्तार से आगे बढ़ रही है और राज्य भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। भारत की इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कई भारतीय राज्य इस लक्ष्य को हासिल करने की ओर बढ़ रहे हैं।
भारत इन दिनों आर्थिक मोर्चे पर बेहतरीन काम कर रहा है। भारत की आर्थिक तरक्क ी पर ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों के साथ ही दुनिया के कई देशों को पूरा भरोसा है। मूडीज ने भरोसा जताया है कि जी-20 देशों में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के कई राज्य आजादी के 100वें वर्ष में 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अपनी हाल ही की रिपोर्ट में बताया है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात एक ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी वाले राज्य सबसे पहले बन सकते हैं। ये तीनों राज्य वित्त वर्ष 2039 में ही यह आंकड़ा छू सकते हैं। इनमें भी सबसे पहले यह आंकड़ा महाराष्ट्र हासिल कर सकता है। इसके बाद कर्नाटक और गुजरात का नंबर आएगा। ै।
सभी राज्यों को करनी होगी कड़ी मेहनत
महाराष्ट्र ने 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने के लिए वित्त वर्ष 2028, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु ने 2030 और कर्नाटक ने 2032 का लक्ष्य बनाया है। घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च का मानना है कि इन सभी राज्यों को लक्ष्य हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।
फिलहाल कर्नाटक ने उत्तर प्रदेश को पीछे धकेलते हुए वित्त वर्ष 2023 में देश की तीसरी सबसे बड़ी स्टेट इकोनॉमी होने का दर्जा हासिल कर लिया है। इसलिए उत्तर प्रदेश को अपनी गति में और सुधार की आवश्यकता व्यक्त की जा रही है।
2028 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का है लक्ष्य
भारत ने वित्त वर्ष 2028 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल चल रही आर्थिक वृद्धि दर से 2028 तक सिर्फ 3 राज्य ही 0.5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बन पाएंगे। राज्यों को विकसित देशों के बराबर प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा छूने में बहुत समय लगने वाला है। इस मामले में यूपी और बिहार फिलहाल लो इनकम ग्रुप में आते हैं। राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय के मुकाबले छत्तीसगढ़, यूपी, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और पंजाब को अपना प्रदर्शन सुधारना होगा।
वैसे कुल मिला कर देखा जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा काफी मजबूत है। ऐसा संकेत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में भारत के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति वेंकट सुब्रमण्यन ने दिया है। सुब्रमण्यन ने कहा कि अगर देश पिछले 10 सालों में लागू की गई अच्छी नीतियों को दोगुना कर सके और सुधारों में तेजी ला सके तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक 8 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था 2023 के आखिरी तीन महीनों में उम्मीद से बेहतर 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी, जो पिछले डेढ़ साल में सबसे तेज़ गति है।
विश्व बैंक ने भी अपने अनुमानों को संशोधित करते हुए कहा है कि 2024 में भारतीय अर्थव्यवस्था 7.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है जबकि पहले इसे 6.3 प्रतिशत पर रखा था। इसी तरह मॉर्गन स्टेनली ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार के अनुमान को 6.1 प्रतिशत से बढ़ा कर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। एस एंड पी ने भी 6.4 से 6.8 प्रतिशत कर दिया। इसी क्रम में वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी 2024 के कैलेंडर साल के लिए भारत की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। विदेशी मुद्रा भंडार भी अब तक के सर्वाधिक स्तर पर है तो जीएसटी कलेक्शन भी अब तक के सर्वोच्च स्तर पर जा पहुंचा है।
रेटिंग एजेंसियों का मत है कि उच्च-आवृत्ति के संकेतकों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था की सितंबर और दिसंबर तिमाही की मजबूत रफ्तार 2024 की मार्च तिमाही में जारी रही। मजबूत जीएसटी कलेक्शन, बढ़ती वाहन बिक्री, उपभोक्ता भरोसा और दो अंक की ऋण वृद्धि से पता चलता है कि शहरी मांग मजबूत बनी हुई है। आपूर्ति पक्ष की बात करें, तो विनिर्माण और सेवा पीएमआई का विस्तार ठोस आर्थिक रफ्तार का प्रमाण है। इस साल के अंतरिम बजट में पूंजीगत व्यय के लिए आवंटन 11.1 लाख करोड़ रुपये या 2024-25 के सकल घरेलू उत्पाद के 3.4 प्रतिशत के बराबर रखा गया है जो 2023-24 के अनुमान से अधिक है।