आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारतीय सेना में अब ऑटोमेशन से कमांडर को रियल टाइम में पता चल जाएगा कि दुश्मन के कितने टैंक आ रहे हैं और अपने पास कहां-कितनी तैनाती है। सैन्य कार्रवाइयों के समय ही नहीं, बल्कि सेना के प्रबंधन व प्रशासकीय कामों से लेकर अग्निवीरों के मूल्यांकन तक में ऑटोमेशन, डिजिटाइजेशन और नेटवर्किंग उपयोग हो रही है।
ये नई तकनीकें अपनाने के लिए 10 अहम परियोजनाएं बनाई गई हैं, कई प्लेटफॉर्म विकसित किए गए हैं। ये परियोजनाएं इसी महीने से लेकर वर्ष 2025 तक सिलसिलेवार तरीके से लागू होंगी। वर्ष 2023 को ‘बदलाव के वर्ष’ के रूप में मना रही है सेना। इनके जरिये भविष्य के लिए तैयार और तकनीक पर ज्यादा आधारित हो रही है।
ये परियोजनाएं
समा: कमांडर को दिखेगी रणभूमि की पूरी तस्वीर
सिचुएशनल अवेयरनेस मॉड्यूल फॉर आर्मी यानी ‘समा’ एक डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) यानी निर्णय लेने में मदद करने वाली प्रणाली है। इसे सेना ने विकसित किया है। हर स्तर पर तैनात कमांडर व स्टाफ को भूमिका के अनुसार रणभूमि की पूरी तस्वीर मिलेगी। इसी महीने से कोर जोन में फील्ड परीक्षण के लिए लाया जा रहा है। इसे सेना की अन्य प्रणालियों जैसे ई-सिट्रिप, मिलिट्री इंफॉर्मेशन सपोर्ट ऑपरेशंस के साथ काम करने योग्य बनाया गया है।
ई-सिट्रिप : जानकारी रियल टाइम में
जंग के हालात में जानकारियां रियल टाइम में मिले जाएं तो काफी फायदा हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए सिचुएशनल रिपोर्टिंग ओवर एंटरप्राइज-क्लास जीआईएस प्लेटफॉर्म यानी ई-सिट्रिप बनाया गया। कमांडर को आकाशीय व जमीनी दृश्य समझने और हालात भांपने में मदद मिलेगी। जरूरत के अनुसार डाटा व सूचनाओं का विश्लेषण कर पाएंगे। जून, 2023 से उत्तरी कमान में होगा शुरू।
संजय: सर्विलांस सिस्टम
संजय परियोजना एक बैटलफील्ड सर्विलांस सिस्टम है। पिछले साल परीक्षण 96 प्रतिशत तक सफल रहे हैं। इसके तहत सीमा पर हजारों सेंसर लगाए जा रहे हैं ताकि एक ही सूचना अलग-अलग सेंसर से मिलने पर ऑटोमेशन के जरिये उनका सही विश्लेषण हो सके। दिसंबर, 2025 तक सैन्य फॉर्मेशन के अनुसार तैनाती की जाएगी।
सीआईसीपी: सैन्य तंत्र व रसद सेवा
सैन्य तंत्र और रसद सेवा की जानकारियां कंप्यूटराइज्ड भंडार नियंत्रण परियोजना (सीआईसीपी) से मिल रही हैं। सेना की जिप्सी के कितने अतिरिक्त टायर उपलब्ध हैं, ऐसी जानकारियां भी तुरंत मिल सकेंगी। ऐसी चीजें जरूरत वाली जगहों पर भेजी जा सकेंगी, वित्तीय व्यय घटेगा। पहला चरण सफल, जल्द सभी स्तर पर लागू होगी।
‘अवगत’ से जीआईएस की जानकारियां
‘अवगत’ से एक जीआईएस प्लेटफॉर्म पर कई क्षेत्रों से जुड़ी जानकारियां मिलेंगी। उपग्रह से मिली सूचनाएं शामिल होंगी। सैन्य कार्रवाइयों के दौरान मिले इनपुट्स से लेकर सैन्य तंत्र की संबंधित जानकारियां ‘अवगत’ में होंगी। 2023 के अंत तक शुरू।
अनुमान परियोजना
अनुमान परियोजना से 4 किमी क्षेत्र तक के लिए मौसम का पूर्वानुमान मिल सकेगा। यह सैनिकों के लिए अहम जानकारी है। हवा की गति, दिशा जैसी सूचनाएं तोपखाने को बेहद सटीकता से मार करने में मदद भी करती हैं। 24 नवंबर, 2022 को एनसीएमआरडब्ल्यूएफ से सेना ने एमओयू किया।
इंद्र: इंद्र यानी इंडियन आर्मी डाटा रिपॉजिटरी एंड एनालिटिक्स योजना 47 रिकॉर्ड ऑफिस के डाटा के साथ प्रबंधन में मदद देगी।
ई-ऑफिस: कागज का उपयोग घटा
एनआईसी के 8 सर्वर से डिजिटाइज सेवा। सेना के 50 से ज्यादा निदेशालय एक दूसरे से सीधा संपर्क कर पा रहे हैं। कागज का उपयोग भी घटा है। जून, 2023 तक पूरी तरह लागू होगा।
एआई-एमएल से उपयोगी नक्शे
आर्टिलरी कॉम्बेट कमांड कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम में नई डिफेंस सीरीज नक्शा प्रणाली लागू की गई है। इससे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के साथ नये नक्शों का उपयोग हो सकेगा। उपयोगी डाटा हासिल करना आसान होगा।
‘आसान’: अग्निवीरों का मूल्यांकन डाटा से
सेना में भर्ती हो रहे अग्निवीरों के डाटा का प्रबंधन आर्मी सॉफ्टवेयर फॉर अग्निपथ एडमिनिस्ट्रेशन एंड नेटवर्किंग यानी ‘आसान’ परियोजना में होगा। भर्ती, प्रशिक्षण, तैनाती की जानकारी इसमें होगी। जनवरी, 2023 से लागू।