सिंधु झा
वर्ष 2047 तक यानी आजादी की सौवीं वर्षगांठ तक भारत अपने परमाणु स्रोतों से लगभग 9 प्रतिशत बिजली प्राप्त करने लगेगा। इतना ही नहीं, कार्बन उत्सर्जन के क्षेत्र में 2070 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने की प्रतिबद्धता के निकट पहुंचने में सहायता मिलेगी। यह जानकारी केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दी। वह भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के एक समूह के साथ समीक्षा बैठक कर रहे थे।
2030 का लक्ष्य : उन्होंने कहा कि परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा निर्धारित अन्य लक्ष्यों में वर्ष 2030 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन की 20 गीगावॉट क्षमता प्राप्त करना शामिल है, जो भारत को संयुक्त राज्य अमेरिका और फ्रांस के बाद विश्व में परमाणु ऊर्जा के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में स्थापित करने वाला एक प्रमुख कीर्तिमान होगा।
श्रेय पीएम मोदी को : सिंह ने इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देते हुए कहा कि स्वतन्त्रता के बाद पहली बार फ्लीट मोड में एक ही क्रम में 10 रिएक्टरों को मंजूरी देने का पीएम ने निर्णय लिया और सार्वजनिक उपक्रमों के साथ संयुक्त उद्यमों के तहत परमाणु प्रतिष्ठानों को विकसित करने की अनुमति दी। नतीजतन आज भारत सक्रिय रिएक्टरों की संख्या में विश्व में छठा सबसे बड़ा और निर्माणाधीन रिएक्टरों सहित कुल रिएक्टरों की संख्या में दूसरा सबसे बड़ा देश है।
मोदी शासन की पहचान : उन्होंने कहा कि मोदी शासन की एक पहचान यह भी है कि पहली बार परमाणु ऊर्जा का उपयोग बड़े पैमाने पर विभिन्न क्षेत्रों, उदाहरण के लिए कृषि उत्पादों और सेब जैसे फलों का जीवनकाल (शेल्फ लाइफ) बढ़ाने के साथ ही कैंसर और अन्य रोगों के उपचार में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने के लिए आवश्यक अनुप्रयोगों में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग का रास्ता दिखाया है।