न्यूयॉर्क। अमेरिकी स्टार्टअप ब्रेनब्रिज ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित रोबोटिक सर्जरी से हैड ट्रांसप्लांट (सिर प्रत्यारोपण) की अवधारणा पेश कर उम्मीदों के नए द्वार खोल दिए हैं। एडवांस न्यूरोसाइंस और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग क्षेत्र में काम कर रहे ब्रेनब्रिज ने इस तकनीक से जुड़ा वीडियो भी जारी किया है। इसमें दिखाया गया है कि ब्रेनब्रिज सिस्टम एक युवा और पूरी तरह से स्वस्थ शरीर वाले ब्रेन डेड व्यक्ति में बीमार वृद्ध व्यक्ति का सिर प्रत्यारोपित करता है। करीब आठ मिनट के इस वीडियो को हशिम अल गायली नाम के यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किया गया है।
विज्ञान व अवधारणाओं का विस्तार
यह चैनल विज्ञान और वैज्ञानिक अवधारणाओं के बारे में वीडियो पोस्ट करता है। इसके विवरण में कहा गया है कि ब्रेनब्रिज दुनिया की पहली सिर प्रत्यारोपण प्रणाली की अवधारणा है, जो संपूर्ण सिर और चेहरे को एडवांस रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रत्यारोपित करता है।
स्टार्टअप का दावा
स्टार्टअप का दावा है कि अगर वे इस संकल्पना को मूर्त रूप दे पाए तो इस अत्याधुनिक प्रणाली से स्टेज 4 कैंसर, लकवा, अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों से पीड़ित रोगियों को जिंदगी की नई उम्मीद मिल जाएगी।
व्यक्ति का सिर नए धड़ पर लगाए जाने के कुछ ही सप्ताह के भीतर व्यक्ति सामान्य जीवन जी पाएगा। व्यक्ति के पास अपनी पुरानी यादें, आदतें और हर तरह के दिमागी कौशल ज्यों के त्यों रहेंगे। साथ ही उसे एक नया रोग मुक्त शरीर मिल जाएगा।
यह होगी सर्जरी की प्रक्रिया
सर्जरी की शुरुआत डोनर और रिसीवर दोनों को जनरल एनस्थीसिया देकर की जाएगी। इसके बाद दोनों शरीरों को ट्रेकियोटॉमी के जरिये यांत्रिक श्वसन की सुविधा दी जाएगी, ताकि सभी अंग सुचारू रहें। दोनों शरीरों में एक आर्टिफिशियल प्लाज्मा सोल्युशन डाला जाता है, ताकि रक्त के थक्के न जमें और पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे। सर्जिकल आर्म के जरिये रिसीवर के सिर को डोनर की रीढ़ की हड्डी, अन्नप्रणाली, श्वसनली, तंत्रिकाओं, रक्त वाहिकाओं और ऊतकों से जोड़ दिया जाएगा। कटे हुए न्यूरॉन्स को दोबारा जोड़ने के लिए सभी जोड़ों पर पॉलीथीन ग्लाइकोल सॉल्युशन लगाया जाएगा। इसके अलावा रीढ़ की हड्डी पर एक एपिड्यूरल इम्प्लांट लगाया जाएगा, जो प्रत्यारोपण के दौरान क्षतिग्रस्त न्यूरॉन्स की मरम्मत में मदद करेगा और मस्तिष्क व शरीर के समायोजन को बढ़ाएगा। सर्जरी के बाद करीब 4 सप्ताह तक शरीर को कोमा में रखा जाता है, ताकि सिर और शरीर आपस में जुड़ पाएं।