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कश्मीर में 1947 के आतंकी हमले की याद दिलाता है हमास का हमला

by Blitzindiamedia
October 13, 2023
in दृष्टिकोण
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सिंधु झा

एक स्वतंत्र राष्ट्र के कुछ हिस्सों पर आतंकवादियों का कब्जा देखने से ज्यादा भयावह कुछ नहीं हो सकता। यह इस्राइल में हुआ है और 7 अक्टूबर का झटका शेष दुनिया के लिए बहुत परेशान करने वाला रहा है। भारतीयों के लिए यह स्थिति अक्टूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के हमलावरों द्वारा किए गए आक्रमण की याद दिलाती है। पाकिस्तान सेना द्वारा समर्थित उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत के आदिवासियों की भीड़ ने 22 अक्टूबर, 1947 को कोड-नाम ऑपरेशन गुलमर्ग के तहत कश्मीर घाटी पर आक्रमण किया था।

अनुमानित 5,000-10,000 हमलावर कश्मीर पर कब्जा करने के लिए पाकिस्तानी सेना और सैन्य लॉरियों द्वारा प्रदान की गई कुल्हाड़ियों, तलवारों और राइफलों से लैस थे। हमलावरों ने लूटपाट की, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला। सैकड़ों महिलाओं का अपहरण और दुष्कर्म किया गया। विशेष रूप से सिखों और हिंदुओं को निशाना बनाया गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने 24 अक्टूबर को सहायता के लिए भारत सरकार से संपर्क किया। वह भारत में शामिल होने के लिए सहमत हुए और 26 अक्टूबर को विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

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– पाकिस्तान सेना द्वारा हमलावरों ने कश्मीर घाटी पर आक्रमण किया था
– इस्राइल में आतंकवादियों ने महिलाओं व बच्चों से क्रूरता की हदें कीं पार

27 अक्टूबर को पहली भारतीय सैनिक टुकड़ी को श्रीनगर में उतारा गया और हमलावरों को खदेड़ दिया गया लेकिन हमलावरों ने रक्तपात और भय का एक बड़ा निशान छोड़ दिया। परिवारों का सफाया कर दिया गया, महिलाओं पर अत्याचार किया गया और कई लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया।

Hamas attack reminds of 1947 terrorist attack in Kashmir

जम्मू-कश्मीर के लिए अक्टूबर अत्याचार से मुक्ति का महीना है। 27 अक्टूबर को उन बहादुर भारतीय पैदल सेना के सैनिकों को याद करने और श्रद्धांजलि देने के लिए सालाना इन्फैंट्री दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिन्होंने पाकिस्तानी आक्रमणकारियों के खिलाफ देश की रक्षा करते हुए अपनी जान दे दी।

अक्टूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर ने जो कुछ सहा, वैसा ही इस्राइल में देखा जा रहा है, कश्मीर में मुसलमान हमलावरों के खिलाफ खड़े हुए और श्रीनगर की रक्षा में सेना की मदद की। उस समय कश्मीरियों और अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों और सिखों के खिलाफ पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा किए गए अपराध बर्बर थे। इस्राइल में आतंकवादी-हमलावरों द्वारा किए जा रहे अपराध सात दशक पहले कश्मीरियों द्वारा सहे गए अपराध से कम नहीं हैं। भारत ने तुरंत हमले की निंदा की और इजराइल के साथ एकजुटता व्यक्त की।

इस्राइल से आए वीडियो में सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा महिलाओं के साथ क्रूरता करते और उन्हें जबरन जीप में ले जाते हुए दिखाया गया है। ऐसा लग रहा था कि आतंकवादी खुली छूट का आनंद ले रहे हैं। वे घरों और अपार्टमेंटों में तोड़-फोड़ कर रहे थे। आतंकवादियों को नागरिकों को गोली मारते, महिलाओं और बच्चों सहित लोगों का अपहरण करते और उन्हें ट्रॉफी के रूप में ले जाते देखा गया।

एक भयावह वीडियो में एक महिला सैनिक को आतंकवादियों द्वारा नग्न अवस्था में हमला करते हुए दिखाया गया था। एक अन्य वीडियो में एक सैनिक के निर्जीव शरीर को एक वाहन से बाहर निकाला गया और आतंकवादियों और उनके समर्थकों ने नारे लगाते हुए उसे कुचल दिया। ऐसे सैकड़ों डराने वाले वीडियो हैं जिनमें इस्राइलियों पर बर्बरतापूर्वक हमला किया जा रहा है। कैलिब्रेटेड हमला सिमचट तोराह और शब्बत के दौरान हुआ, जो यहूदी कैलेंडर में आराम के महत्वपूर्ण दिन हैं। हमास के आतंकियों ने मिसाइल हमलों की आड़ में इजराइल की सीमा में घुसपैठ की। इजरायली सेना ने कहा, वे पैराग्लाइडर का उपयोग करके जमीन, समुद्र और हवा से इजरायल में दाखिल हुए। जब आतंकवादियों ने हवा और जमीन से हमला किया तो लोग हैरान रह गए।

पहले के समय में कोई सोशल मीडिया नहीं था, केवल कहानियां ही रहती थीं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती थीं। लेकिन इजराइल में सब कुछ वास्तविक समय में हो रहा है और दुनिया भर के लोग इस बर्बरता को देख रहे हैं। इस्राइल से आने वाली तस्वीरें बेहद परेशान करने वाली हैं। हमास के बंदूकधारियों ने कई इजरायली शहरों में घुसपैठ की और गाजा पट्टी से 5,000 से अधिक रॉकेट दागे गए। घुसपैठ 1973 के युद्ध की 50वीं वर्षगांठ पर हुई, जिसमें मिस्र और सीरिया के नेतृत्व में इजरायल के अरब पड़ोसियों ने 6 अक्टूबर को हमला किया और तीन सप्ताह तक युद्ध चला। 1973 का युद्ध यहूदी कैलेंडर के सबसे पवित्र दिन पर शुरू हुआ था। 50 साल बाद, फिर से उसके पवित्र दिन समारोह के दौरान, इस्राइल पर हमला किया गया। इस बार देशों द्वारा नहीं बल्कि आतंकवादियों द्वारा। आतंकवादी इस्राइल जैसे देश पर कब्जा करना चाहते हैं, जिसका खुफिया नेटवर्क दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है, उन सभी के लिए एक गंभीर चेतावनी होनी चाहिए जो अच्छे और बुरे आतंकवादियों में विश्वास करते हैं। भारत ने लंबे समय से इसे सहन किया है और दुनिया को अच्छे और बुरे आतंकवादियों के खतरों के बारे में आगाह करता रहा है।

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