नई दिल्ली। सात चरणों में होने वाले आम चुनावों के लिए लाखों चुनाव अधिकारी, केंद्रीय और राज्य पुलिस बल समेत तमाम विभागों के कर्मचारियों ने मोर्चा संभालना शुरू कर दिया है। चुनावी ड्यूटी में लगे इन सरकारी और गैर-सरकारी लोगों के वोट लेना भी चुनाव आयोग के लिए बेहद जरूरी होता है। क्योंकि, चुनावी ड्यूटी में लगे ज्यादातर कर्मचारी अपने-अपने पोलिंग स्टेशनों में वोट नहीं दे पाते। चुनाव आयोग इन कर्मचारियों को ‘अनिवार्य सेवा’ कैटिगरी में रखते हुए पोस्टल बैलट यानी डाक मत पत्र के जरिए वोट डलवाता है ताकि वोट देने का इच्छुक कोई भी कर्मचारी छूट न जाए। इस बार आयोग ने इस आवश्यक सेवा श्रेणी में उन मीडियाकर्मियों को भी रखा है, जो चुनावी ड्यूटी में होंगे।
आयोग ने कहा कि जो भी मीडियाकर्मी मतदान के दिन ड्यूटी पर होगा, वह संबंधित आरओ के जरिए फॉर्म-12डी के माध्यम से बैलट पेपर से वोट दे सकेगा। चुनाव आयोग ने बताया कि अनिवार्य सेवाओं में चुनावी ड्यूटी पर लगे राज्य और केंद्रीय सरकार के कर्मचारी तो हैं ही, साथ में हेल्थ, फायर, पुलिस और जेल जैसे अन्य कुछ विभागों के कर्मचारी भी इस श्रेणी में आते हैं। कुछ सर्विस को चुनाव आयोग की तरफ से आवश्यक श्रेणी में डाला जाता है। चुनाव प्रकि्रया में हर पहलू पर ध्यान रखा जाता है।
33 विभागों के कर्मचारी अनिवार्य सेवा श्रेणी में
आंध्र प्रदेश में 33 विभागों के कर्मचारियों को अनिवार्य सेवा वाली श्रेणी में रखा गया है।
यहां रेलवे, ट्रांसपोर्ट, पुलिस, जेल, मीडिया, बिजली, बीएसएनएल, डाक, मिल्क कॉरपोरेशन, मेट्रो और एविएशन जैसे विभागों के कर्मचारी हैं, जो चुनाव ड्यूटी पर रहेंगे। सबसे कम चार विभागों को मध्य प्रदेश ने आवश्यक श्रेणी में रखा है। इनमें हेल्थ, होम, एनर्जी और मीडिया है।
सीलबंद ही वापस लिया जाता है
आयोग का कहना है कि चुनावी ड्यूटी में लगे कर्मचारियों को मतदान के चार से छह दिन पहले सीलबंद लिफाफे में बैलट पेपर दिए जाते हैं ताकि ये सभी कर्मचारी समय पर बैलट पेपर के माध्यम से अपनी पसंद के उम्मीदवार पर मुहर लगाकर वोट दे सकें। इनके बैलट पेपर को सीलबंद ही वापस लिया जाता है, ताकि गोपनीयता बनी रहे।


















