रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन एवं भारतीय नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में ओडिशा के तट से समुद्र-आधारित एंडो-वायुमंडलीय इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार परीक्षण का उद्देश्य दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल खतरे के प्रभाव को लक्षित करना और नष्ट करना था ताकि भारत को नौसेना बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता वाले देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल किया जा सके।
इससे पहले डीआरडीओ ने सतह आधारित बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा (बीएमडी) प्रणाली की क्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया था और इस तरह दुश्मन की तरफ से आने वाली बैलिस्टिक मिसाइल के खतरों को बेअसर करने की क्षमता हासिल की थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जहाज आधारित बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा क्षमताओं के सफल प्रदर्शन में शामिल डीआरडीओ, भारतीय नौसेना एवं उद्योग को बधाई दी। डीडीआरएंडडी के सचिव एवं डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने मिसाइल के डिजाइन और विकास में शामिल टीमों की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश ने बेहद जटिल नेटवर्क केंद्रित बैलिस्टिक मिसाइल रोधी प्रणाली का विकास करने में आत्म निर्भरता हासिल की है। मालूम हो कि भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम भारत को बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाने के लिए एक बहुस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित करने और तैनात करने की एक पहल है। इसे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा कारगिल युद्ध के बाद 2000 में लॉन्च किया गया था। उसके बाद परीक्षण का सिलसिला शुरू हुआ जो अब तक जारी है। पाकिस्तान और चीन से बैलिस्टिक मिसाइल के संभावित खतरे को देखते हुए यह शुरू किया गया। यह दो-स्तरीय प्रणाली है जिसमें दो भूमि और समुद्र-आधारित इंटरसेप्टर मिसाइल शामिल हैं, अर्थात उच्च ऊंचाई अवरोधन के लिए पृथ्वी वायु रक्षा (पीएडी ) मिसाइल और उन्नत वायु रक्षा (एएडी) कम ऊंचाई वाले अवरोधन के लिए मिसाइल। दो-स्तरीय ढाल 5,000 किलोमीटर दूर से आने वाली किसी भी मिसाइल को रोकने में सक्षम है। इस प्रणाली में शुरूआती चेतावनी और ट्रैकिंग राडार के साथ-साथ कमांड और कंट्रोल पोस्ट का एक अतिव्यापी नेटवर्क भी शामिल है। नवंबर 2006 में पीएडी का परीक्षण किया गया, इसके बाद दिसंबर 2007 में एएडी का परीक्षण किया गया। पीएडी मिसाइल के परीक्षण के साथ, भारत अमेरिका, रूस और इजराइल के बाद सफलतापूर्वक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली विकसित करने वाला चौथा देश बन गया।