विनोद शील
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के एजेंडे में जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली और वहां के लोगों का विकास सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। जम्मू-कश्मीर के हित में पहला सबसे बड़ा फैसला मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को लिया था जब उन्होंने लोकतंत्र की स्थापना के लिए राज्य को अनुच्छेद 370 और 35 ए से मुक्ति दिलाई थी। इसी क्रम में राज्य में लोकतंत्र की बहाली की ओर एक कदम और बढ़ाते हुए केंद्र की मोदी सरकार में गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा- केंद्र सरकार सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) एक्ट (एएफएसपीए) यानी अफस्पा को रद करने पर विचार करेगी। अमित शाह ने ये भी कहा कि सरकार केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने की योजना भी बना रही है और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस के हवाले किया जाएगा। शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना पीएम मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। हालांकि, यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और यह लोगों का लोकतंत्र होगा।
पीओके भारत का
जम्मू-कश्मीर के एक चैनल को दिए साक्षात्कार में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू- कश्मीर की पुलिस ने कई बड़े ऑपरेशन का नेतृत्व किया है। शाह ने दो टूक कहा- हम कश्मीरी युवाओं से बातचीत करेंगे, न कि उन संगठनों से जिनकी जड़ें पाकिस्तान से जुड़ी हैं। शाह ने पाकिस्तान की बदहाली का हवाला दिया और कहा, कश्मीर को सिर्फ पीएम मोदी ही बचा सकते हैं। शाह ने साफ शब्दों में कहा- बीजेपी और पूरी संसद का मानना है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है। पीओके में रहने वाले मुस्लिम भाई भी भारतीय हैं और हिंदू भाई भी। पीओके पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है और उसे अपने वक्त पर वापस लिया जाएगा। इसके लिए एक लंबी प्रक्रिया है।
गौर करें तो मोदी सरकार एक के बाद एक, हर फैसला प्रदेश की भलाई के लिए कर रही है, चाहे वो महिला सशक्तिकरण हो, युवाओं के लिए अवसर हों, दलितों, पीड़ितों और वंचितों के कल्याणकारी लक्ष्यों को पूरा करने का काम हो या फिर लोगों के संवैधानिक और बुनियादी अधिकार।
भारत की मुकुट मणि के रूप में जाना जाने वाला जम्मू-कश्मीर राज्य लंबे समय से आतंकवाद, उग्रवाद, अल्प विकास और वंशवादी राजनीति की घेराबंदी में था। हालांकि, 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के पद संभालने के बाद राज्य ने अपने भाग्य और गतिशीलता में एक उल्लेखनीय बदलाव देखा है, खासकर आर्टिकल 370 को खत्म करने के ऐतिहासिक निर्णय के बाद। इस कदम ने व्यापक विकास का मार्ग प्रशस्त किया है, ऐतिहासिक अभावों को समाप्त किया है और सभी क्षेत्रों में सकारात्मक बदलावों को बढ़ावा दिया है।
अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर में 32,000 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया है। ये परियोजनाएं स्वास्थ्य, शिक्षा, रेल, सड़क, विमानन, पेट्रोलियम और नागरिक सहित कई क्षेत्रों से संबंधित हैं। पीएम ने करीब 1500 नए सरकारी कर्मचारियों को नियुक्ति आदेश भी वितरित किए। अनुच्छेद 370 हटने के बाद पीएम मोदी की कश्मीर में यह पहली रैली थी जिसमें राज्य के हर क्षेत्र से एक लाख से अधिक लोग आए थे और अब तक किसी भी प्रधानमंत्री की यह सबसे सफल रैली मानी गई है।
इसके अलावा राज्य में जमीनी स्तर पर लोकतंत्र और राजनीतिक अधिकारों की बहाली, सुशासन और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा, सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार, विकास के केंद्र में महिलाएं को बढ़ावा देना, जनजातीय गरिमा की बहाली, जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट में नए रास्ते खोलना, रोजगार सृजन में वृद्धि के लिए प्रयास, एक्सेलरेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को तेज करना, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और कारोबार को बढ़ावा, किसान कल्याण की योजनाएं लागू करना, जम्मू-कश्मीर में पर्यटन की बढ़ोतरी तथा आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपना कर शांति के नए युग की शुरुआत के लिए ठोस प्रयास करने से कश्मीर में आया बदलाव अब साफ-साफ दिखाई दे रहा है।
मोदी सरकार में जम्मू-कश्मीर में हुए समग्र विकास को देखते हुए कह सकते हैं कि यह शासन समावेशिता, सामाजिक कल्याण, आर्थिक विकास और शांति निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है। विभिन्न क्षेत्रों में किए गए परिवर्तनकारी प्रयासों ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक उज्जवल भविष्य की नींव रखी है।