दीपक द्विवेदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गत दिनों हुई श्रीनगर की यात्रा हर मायने में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक रही है। यह बात हर वो व्यक्ति स्वीकार करेगा जो निष्पक्ष एवं तटस्थ है, सिवाय उस व्यक्ति के जिसने हर हाल में पीएम मोदी का विरोध करना अपना ‘धर्म’ बना लिया हो। यह देश के किसी भी प्रधानमंत्री की अब तक की सबसे सफल कश्मीर यात्रा मानी जा रही है। पीएम मोदी की श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में ‘विकसित भारत विकसित जम्मू कश्मीर’ सार्वजनिक रैली में शामिल होने के लिए घाटी के लगभग हर कोने से लोग पहुंचे थे। करीब एक लाख लोगों का एक जगह एकत्रित होना, मोदी-मोदी के नारे लगाना तथा उत्साह प्रदर्शित करना विपक्षियों को शायद पच नहीं रहा है।
पीएम मोदी का जिस उमंग एवं उत्साह से स्वागत हुआ, उससे सारा भारत यह विश्वास कर पा रहा है कि कश्मीर अब देश की मुख्यधारा से जुड़ चुका है। सभा में इतने लोगों का समय से पहले आना यह साबित करता है कि कश्मीरी जनता प्रधानमंत्री मोदी में विश्वास रखती है। इन लोगों में कश्मीरी महिलाएं और युवा भी बड़ी संख्या में शामिल थे। लोग याद कर रहे हैं कि पिछले 40 साल में पहली बार ऐसी रैली हुई है और इसे कश्मीर में ऐतिहासिक माना जा रहा है। कश्मीर के राजनीतिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1983 की इकबाल पार्क रैली के बाद यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही रैली है जो शांतिपूर्ण रही है।
आज अगर कश्मीरी जनता पीएम मोदी को सुनने के लिए इतनी बड़ी संख्या में आती है तो निश्चित रूप से उसके पीछे पीएम मोदी द्वारा कश्मीर के हित में गत 10 वर्षों में उठाए गए कदमों का ही विशेष योगदान है; इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। दरअसल पीएम मोदी ने यहां की जनता के मन में नए कश्मीर की उम्मीद जगाई है।
उल्लेखनीय है कि 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35ए के प्रभाव को खत्म कर दिया था। राज्य को 2 हिस्सों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट कर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था। इसके पहले 370 व 35ए की आड़ में तत्कालीन कश्मीरी हुक्मरानों ने जम्मू-कश्मीर को अपना गुलाम सा बना लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि इसको हटा कर केंद्र सरकार ने किसी तरह के संवैधानिक व कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया है। 2019 के बाद से मोदी सरकार ने करीब 5 वर्षों के अंतराल में कश्मीर में जी20 की शिखर बैठक के आयोजन के अलावा अनेक ऐसे फैसले लागू किए गए जिन्होंने कश्मीर में विकास की नई बयार ला दी। यह पीएम मोदी की सरकार द्वारा किए गए कामों का ही नतीजा है कि प्रधानमंत्री मोदी का अभूतपूर्व स्वागत कश्मीर की जनता ने किया। खास बात यह रही कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी रैली के मौके का पूरा फायदा उठाया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर को देश का मुकुट बताते हुए प्रदेश के विकास का खाका सबके सामने रखा और कहा कि एक विकसित जम्मू-कश्मीर ही विकसित भारत की प्राथमिकता है। जम्मू-कश्मीर आज विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है क्योंकि वह खुलकर सांस ले रहा है।
पीएम मोदी के लिए जम्मू-कश्मीर कुछ अलग ही मायने रखता है। उनकी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के सभी वर्गों और क्षेत्रों के विकास को लेकर बड़े काम किए हैं जिससे वहां के लोगों को मुख्यधारा में शामिल होने का मौका मिला है। पहली बार जम्मू-कश्मीर को दो एम्स मिले हैं। इनके बनने से जनता को विशेष इलाज के लिए अन्य जगहों पर नहीं जाना पड़ेगा। पहली बार, जिला स्तर पर मेडिकल की सुविधाएं मिल रही हैं। यहां फूड क्राफ्ट इंस्टीट्यूट और बायो-टेक पार्क के अलावा आईआईटी और आईआईएम जैसे कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान भी स्थापित किए गए हैं। जम्मू और श्रीनगर को स्मार्ट सिटी के रूप में तथा तावी रिवर फ्रंट को भी विकसित किया जा रहा है। विकास के क्रम में जम्मू और श्रीनगर के हवाई अड्डों पर रात्रि उड़ान की सुविधा जोड़ी गई है। हज यात्रियों के लिए पहली बार श्रीनगर और जेद्दा के बीच सीधी उड़ान शुरू की गई है।
अनेक विकासात्मक और कल्याणकारी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं या पूरी होने के करीब हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में गरीब लोगों को नए घर दिए जा रहे हैं। सामुदायिक एवं व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जा रहे हैं। आज पत्थरबाजी की घटनाएं खत्म हो गई हैं। आतंकी गतिविधियों में भी 45.2 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
अगर बात प्रधानमंत्री मोदी की रैली से हटकर करें तो कश्मीर की जनता देख रही है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में कितने बुरे हालात हैं। स्वयं केंद्र सरकार भी जम्मू-कश्मीर में सबको विश्वास में लेकर ही आगे बढ़ना चाहती है। इसका प्रमाण है कि प्रधानमंत्री मोदी राज्य के कई बड़े नेताओं से मिल भी चुके हैं। अलगाववादियों और पाकिस्तान को पीएम मोदी बताना चाहते हैं कि नया कश्मीर बनाया जा रहा है और प्रधानमंत्री कहीं भी रैली कर सकते हैं तथा इस बार न कोई हड़ताल, न बम धमाके, न चक्क ा जाम और न ही इंटरनेट बंद किया गया।
प्रधानमंत्री ने अपने 27 मिनट के भाषण में वस्तुत: कश्मीरी जनता का दिल जीतने का काम किया। उन्होंने जम्मू- कश्मीर बैंक के बारे में बताया कि कैसे उनकी सरकार की नई नीति की वजह से बैंक व लोगों के हजारों करोड़ रुपये डूबने से बचे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मत है कि हाल ही में जैसे गुज्जर बकरवालों और पहाड़ियों को आरक्षण मिला है, उससे भाजपा को लाभ होगा। पीडीपी के पूर्व सांसद और उनकी पत्नी सफीना बेग का प्रधानमंत्री की रैली में होना साफ बताता है कि पहाड़ी लोग भाजपा के साथ हैं। पीएम ने परिवारवाद के प्रति भी लोगों को सावधान किया जिसकी वजह से कश्मीर काफी पिछड़ा रहा। स्पष्ट है कि कश्मीर में भाजपा की मजबूती और जमीनी अमन-चैन पूरे देश में पार्टी को लाभ पहुंचा सकता है। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर शंकराचार्य मंदिर और हजरतबल श्राइन, दोनों को समान महत्व देकर यह बताना चाहा कि उनके लिए हिंदू, मुस्लिम एक समान हैं। प्रधानमंत्री ने इस दौरान 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की 43 विकास परियोजनाओं का अनावरण-शिलान्यास भी किया। वह उन आलोचकों का मुह बंद करने में भी कामयाब रहे जो यह आरोप लगाते हैं कि प्रधानमंत्री इसलिए श्रीनगर नहीं जा रहे हैं क्योंकि वहां की स्थितियां अनुकूल नहीं हैं।
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री का यह दौरा लंबे समय तक याद किया जाएगा। अब बहुत साफ है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 कोई मसला ही नहीं रहा। ये वो नया जम्मू-कश्मीर है जिसका इंतजार दशकों से था। नए जम्मू-कश्मीर की आंखों में भविष्य की चमक है और इरादों में चुनौतियों को पार करने का हौसला।