नीलोत्पल आचार्य
कि्रकेट के खेल में किस कदर पैसा बरसने लगा है, यकीनन इससे उन खिलाड़ियों को तो रश्क होता ही होगा जो किसी अन्य खेल में अपनी मेहनत और पसीना लगा रहे हैं लेकिन क्रिकेट में ये धन वर्षा अभी शुरू हुई है।
टी 20 विश्व कप जीतने वाली टीम को बीसीसीआई द्वारा 125 करोड़ रुपए की पुरस्कार राशि दिए जाने की घोषणा के बाद मशहूर पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने पुराने दिनों को याद किया है जब क्रिकेट खिलाड़ियों को भी दिहाड़ी मजदूर की तरह बहुत कम रूपए दिए जाते थे। सभी जानते हैं कि राजदीप के पिता दिलीप सरदेसाई भी उस ही जमाने के खिलाड़ी थे।
भारतीय टेस्ट खिलाड़ियों को प्रति मैच केवल 250 रुपए
राजदीप ने लिखा है 1950 और 60 के दशक में भारतीय टेस्ट खिलाड़ियों को प्रति मैच केवल 250 रुपए का भुगतान किया जाता था। एक बार जब भारत ने न्यूजीलैंड को एक मैच में तीन दिनों में हरा दिया, तो खिलाड़ियों को सिर्फ 150 रूपए दिए गए। कारण, खिलाड़ियों के साथ दिहाड़ी मजदूरों जैसा व्यवहार किया गया था व पांच दिवसीय मैच के दो दिन पहले समाप्त होने पर 100 रुपए काट लिए गए थे।
विश्व कप जीतने पर कपिल देव की टीम को सिर्फ बीस हजार मिले थे
1983 में जब भारत ने पहली बार विश्व कप जीता, तब कपिल देव की टीम के खिलाड़ियों को सिर्फ बीस हजार रुपए दिए गए थे। उस समय लता मंगेशकर जोकि स्वयं एक क्रिकेट प्रेमी थीं, उन्होंने अपनी लता नाइट का आयोजन कर उससे होने वाली आमदनी विजेता टीम को दे दी थी।
क्रिकेट में धन वर्षा युग की समझो वो शुरुआत थी। उसके बाद 1990 में जब सैटेलाइट टीवी आया तो फिर तो खिलाड़ियों की दरिद्रता मानों हमेशा हमेशा के लिए मिट गई और 2008 में जब आईपीएल की शुरुआत हुई तो उसके बाद क्रिकेट ने बल्ले-बल्ले ही कर दी।
क्रिकेट की तरक्क ी का असर अन्य खेलों पर भी
राजदीप सरदेसाई लिखते हैं कि क्रिकेट की इस तरक्क ी का असर अन्य खेलों पर भी पड़ रहा है। धीरे धीरे वहां भी चीज़ें बेहतर हो रही हैं। राजदीप ने जय शाह के नेतृत्व वाली बीसीसीआई की भी खूब प्रशंसा की है।
खासकर बीसीसीआई ने जिस तरह पिछले सालों में महिला क्रिकेट का समर्थन किया है और उनके लिए समान वेतन और महिला प्रीमियर लीग की स्थापना की है।


















