आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। डीआरडीओ इस समय ऐसी मिसाइल बना रहा है, जो दुश्मन की घातक और तेज गति से आने वाली एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही नष्ट कर देगी। इस इंटरसेप्टर मिसाइल की रेंज करीब 250 किमी होगी। इसका इस्तेमाल भारतीय नौसेना करेगी। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ भारतीय नौसेना के लिए नई मिसाइल बना रहा है। यह लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल होगी। कहा जा रहा है कि इसकी रेंज 250 किमी होगी।
एंटी-शिप मिसाइल को मार गिराने में सक्षम
यह किसी भी तरह की एंटी-शिप मिसाइल को मार गिराएगी। चाहे उसकी गति 8600 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा क्यों न हो। यह मिसाइल इंडियन नेवी को हवाई सुरक्षा कवच देगी ताकि पाकिस्तान या चीन की मिसाइलें किसी भी तरह से भारतीय नौसेना के युद्धपोतों, पनडुब्बियों और एयरक्राफ्ट कैरियर पर हमला न कर सकें। इस मिसाइल को ‘प्रोजेक्ट कुश’ के तहत बनाया जा रहा है। यह लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली एलआरएसएम सिस्टम जैसी होगी।
‘प्रोजेक्ट कुश’ का पराक्रम
‘प्रोजेक्ट कुश’ में तीन लंबी दूरी की एयर डिफेंस मिसाइलें मौजूद हैं जिनकी रेंज 150 किमी, 250 से 300 किमी और 400 किलोमीटर है। सपोर्ट के लिए साथ में रूस से मिली एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी है लेकिन डीआरडीओ लगातार ऐसे हथियार बनाने में लगा है, जो देश को दुश्मन की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल से भी बचा सके। पूरी दुनिया में एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल बहुत तेजी से बन रही हैं। इनसे सिर्फ नौसैनिक टारगेट ही हिट नहीं होते बल्कि सतह या हवा में भी निशाना लगाया जा सकता है। इनकी स्पीड बहुत ज्यादा होने के कारण इन्हें रोकना मुश्किल होता है। इनसे होने वाली तबाही बहुत ज्यादा नुकसान करती हैं।
चीन के पास डीएफ
चीन के पास 21डी जैसी एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल हैं। इसे कैरियर किलर भी बोलते हैं। यानी पूरे एयरक्राफ्ट कैरियर को डुबो सकते हैं। ईरान और अमेरिका भी ऐसे हथियार बना चुके हैं। अमेरिका की एसएम-6 ऐसी ही मिसाइल है। इसलिए डीआरडीओ ने इंडियन नेवी के लिए ऐसी मिसाइल बनाने का फैसला किया।
यह मिसाइल किसी भी तरह की एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइल को इंटरसेप्ट करेगी। चाहे उसमें पारंपरिक हथियार लगा हो या फिर परमाणु हथियार। इसमें ड्यूल कैपिबिलिटी होगी, यानी ये किसी भी तरह के विमान या बैलिस्टिक मिसाइल को निशाना बना पाएगी। इससे जमीन, जहाज, एयरक्राफ्ट कैरियर सभी जगह कवच बन जाएगा।



















