ब्लिट्ज ब्यूरो
मुंबई। निर्मला सीतारमण के बजट 2024 से महाराष्ट्र के किसानों को भी काफी उम्मीदें हैं। खासकर गन्ना, कपास और सोयाबीन के किसानों को। राज्य में इन तीनों की खेती करने वाले किसानों की संख्या करीब 56 लाख है। चुनावी साल होने की वजह से कहा जा रहा है कि किसानों को जरूर वित्त मंत्री की तरफ से कोई न कोई तोहफा मिल सकता है।
– गन्ना, सोयाबीन और कपास उत्पादन में देश में राज्य का अग्रणी स्थान
मराठवाड़ा और विदर्भ किसान बहुल इलाका है, जहां हालिया लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को नुकसान उठाना पड़ा है। कहा जा रहा है कि इन्हें साधने के लिए भी सरकार की तरफ से बजट में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
सोयाबीन किसानों को क्या है उम्मीद?
महाराष्ट्र में सोयाबीन एक प्रमुख खरीफ फसल है और इसकी खेती करने वाले राज्य में 40 लाख से ज्यादा किसान हैं। महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक प्रदेश में 40 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती की जा रही है। चुनावी साल में इन किसानों को केंद्रीय बजट से काफी उम्मीदें हैं।
सबसे बड़ी मांग
सोयाबीन के किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी की है। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी के साथ खरीदे। इस साल महाराष्ट्र में सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4600 रुपए क्विंटल था, जिसका किसानों ने विरोध किया था।
सोयाबीन की कीमत 6 हजार होनी चाहिए
किसानों का कहना था कि इस मूल्य से लागत भी नहीं मिल रही है। किसानों का कहना है कि लागत को देखते हुए सोयाबीन की कीमत कम से कम 6 हजार प्रति क्विंटल होनी चाहिए।
कपास किसानों की ये है डिमांड
कपास के करीब 7 लाख किसान महाराष्ट्र में हैं और देश में कुल उत्पादित होने वाले कपास में महाराष्ट्र अकेले 27.10 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। महाराष्ट्र सरकार के मुताबिक साल 2023-24 में प्रदेश में 42.34 लाख हेक्टेयर रकबे में कपास की बुआई की गई थी। महाराष्ट्र में गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा के आसपास इसकी खेती बहुतायत में होती है।
2 बड़ी उम्मीदें
कपास किसानों को इस बार के बजट से 2 बड़ी उम्मीदें हैं। एक तो कम कीमत पर बीज आसानी से उपलब्ध हों और दूसरी फसल की कीमत सही मिले और खरीदारी की गारंटी मिले।
गन्ना किसानों को भी उम्मीद
महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती होती है। यहां का मराठवाड़ा गन्ना की खेती के लिए ही मशहूर है। महाराष्ट्र के 1.52 करोड़ में से 6 प्रतिशत यानी करीब 9 लाख किसान गन्ने की खेती करते हैं। गन्ने का प्रयोग चीनी के उत्पादन के लिए किया जाता है। इंडियन शुगर मिल्स के मुताबिक इस साल गन्ने की पेराई से चीनी का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है।
आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र में इस साल अब तक चीनी का 132.6 लाख टन रिकॉर्ड उत्पादन हो चुका है, जबकि गन्ने की पेराई प्रक्रिया अभी भी जारी है। महाराष्ट्र गन्ना उत्पादन में सबसे आगे है।
गन्ना किसानों की भी दो मांगें
गन्ना किसानों को इस बार सरकार के बजट से 2 उम्मीदें हैं। पहली उम्मीद कीमत बढ़ाने की है। देश में वर्तमान में 340 रुपए प्रति क्विंटल गन्ना खरीदा जा रहा है। किसान प्रदर्शन कर चुके हैं। दूसरी बड़ा मांग तुरंत भुगतान की है।
पशुपालकों को बजट से क्या चाहिए?
पशुपालकों को भी बजट से बड़ी उम्मीदें हैं। केंद्र सरकार के मुताबिक महाराष्ट्र में करीब 40 लाख पशुपालक हैं। ये लंबे वक्त से दूध का दाम बढ़ाने की मांग कर रहे है। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने दूध किसानों को 5 रुपए प्रति लीटर सब्सिडी देने की घोषणा की है, लेकिन किसानों का कहना है कि यह अपर्याप्त है। किसानों की मांग नए सिरे से दाम तय करने और सब्सिडी बढ़ाने की है।