ब्लिट्ज ब्यूरो
बंगलुरु। अभावों में बीता बचपन, मां के बेहिसाब संघर्ष, करिअर में झूठे आरोप… सभी कुछ झेला है मनप्रीत सिंह ने लेकिन कठिनाइयों की आग में तपकर कुंदन बना मीठापुर का यह हाकी स्टार अब पेरिस में करिअर का चौथा ओलंपिक खेलेगा।
टोक्यो ओलंपिक में 41 साल बाद कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के कप्तान रहे मनप्रीत ने ओलंपिक के लिए रवानगी से पहले यहां कहा कि बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि चार ओलंपिक खेल पाऊंगा। हर खिलाड़ी का सपना होता है ओलंपिक खेलना और पदक जीतना । मैं खुद को काफी खुशकिस्मत मानता हूं कि ये मेरा चौथा ओलंपिक है।
मुझे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है
मात्र 19 वर्ष की उम्र में 2011 में भारत के लिए पदार्पण करने वाले इस अनुभवी मिडफील्डर ने कहा कि मैं यह सोचकर जा रहा हूं कि ये मेरा आखिरी ओलंपिक है और मुझे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है।
सबसे बुरा दौर देखा
ओलंपिक पदक जीतने के बाद हालांकि उन्होंने अपने करिअर का सबसे बुरा दौर देखा जब पूर्व कोच शोर्ड मारिन ने अपनी किताब में उन पर आरोप लगाया कि 2018 राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान उन्होंने एक युवा खिलाड़ी को जान बूझकर खराब खेलने के लिये कहा ताकि उनके दोस्त को टीम में जगह मिल सके।
हर किसी पर से उठ गया था भरोसा
मनप्रीत ने पहली बार उन आरोपों के बारे में खुलकर बात करते हुए कहा कि वह पूरी तरह टूट गए थे और उनका भरोसा हर किसी पर से उठ गया था।
हालांकि टीम ने उनका पूरा साथ दिया जिसकी वजह से वह इससे उबर सके। उन्होंने कहा कि मेरे लिए वह सबसे कठिन दौर था।
भारतीय दल के ध्वजवाहक रहे
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल के ध्वजवाहक रहे इस खिलाड़ी ने अपने सफर के बारे में कहा कि अब पीछे मुड़कर देखता हूं तो सपने जैसा लगता है। मैंने बचपन में गरीबी करीब से देखी है। पिता दुबई में कारपेंटर का काम करते थे लेकिन वहां से मेडिकल कारणों से वापिस आ गए थे।



















