आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। 22वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन से पूर्व इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (आईआरआरपीएल) ने भारत में निर्मित 36000 क्लाश्निकोव एके-203 असॉल्ट राइफलों को भारतीय सेना को सौंप दिया है। यह हस्तांतरण दोनों पक्षों के बीच चल रहे बड़े रक्षा सहयोग का एक हिस्सा है, जिसमें रक्षा क्षेत्र में भारत के मेक इन इंडिया पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
एके-200 श्रृंखला का भारतीय सेना करती है उपयोग
क्लाश्निकोव एके-203 असॉल्ट राइफल, 7.62 × 39 मिमी कारतूस के लिए एके-200 श्रृंखला का आधुनिक संस्करण है, जिसका उपयोग भारतीय सेना में किया जाता है और इससे इसकी लड़ाकू क्षमताओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह राइफल दुश्मनों के लिए बनेगी काल, एक मिनट में करेगी 700 राउंड फायर।
आईआरआरपीएल भारत के आयुध निर्माणी बोर्ड और रूसी पक्ष से रोसोबोरोन एक्सपोर्ट जेएससी और क्लाश्निकोव समूह के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो दोनों रोस्टेक स्टेट कॉरपोरेशन की सहायक कंपनियां हैं। रोस्टेक रूस का राज्य रक्षा आदेश के माध्यम से हथियारों, सैन्य और विशेष उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा
यह परियोजना देश के आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है, जो रक्षा उत्पादन के स्थानीयकरण पर केंद्रित है।
भारत पहला विदेशी ग्राहक
रोस्टेक के महानिदेशक सर्गेई चेमेज़ोव ने इस उद्यम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज, भारत क्लाश्निकोव असॉल्ट राइफलों की दो सौवीं श्रृंखला का उत्पादन करने वाला पहला विदेशी ग्राहक है।
अमेठी स्थित कोरवा आयुध फैक्ट्री में उत्पादन
मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान कार्यक्रमों के पूर्ण अनुपालन में भारत में उत्पादन शुरू किया गया है। इन राइफलों का उत्पादन यूपी के अमेठी स्थित कोरवा आयुध फैक्ट्री में किया गया है, जहां राइफलों के निर्माण व समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए मशीनरी उपलब्ध कराई गई है।