दीपक द्विवेदी
प्रभु श्रीराम की नगरी अयोध्या में नव निर्मित भव्य एवं विराट श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी, 2024 को श्री रामलला की दिव्य और सुमनोहर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई। इस प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान कार्यक्रम के मुख्य यजमान के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कार्य को अपने 11 दिनों के विशेष व्रत अनुष्ठान के उपरांत विधिवत पूजा-अर्चना के साथ संपन्न किया और यह पल इतिहास के पन्नों में सदा के लिए दर्ज हो गया। इसी के साथ सनातन धर्म में विश्वास रखने वालों की लगभग 500 वर्षों से चली आ रही प्रतीक्षा एवं संघर्ष की गाथा को एक सुंदर तथा अति आनंदप्रद विराम भी मिला। अब श्री रामलला पांच सदी बाद अपने भव्य भवन में विराज चुके हैं। रामनगरी में श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ अयोध्या ही नहीं, देश में भी एक नए युग का आगाज हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने श्री रामलला की पहली आरती उतारी। स्वर्णमयी सिंहासन पर विराजमान श्री रामलला को चांदी का छत्र अर्पित किया और चुनरी भी चढ़ाई। पीएम मोदी ने इस अवसर को देश में नए युग की शुरुआत का प्रतीक भी बताया।
500 वर्षों से चली आ रही प्रतीक्षा एवं संघर्ष की गाथा को एक सुंदर तथा अति आनंदप्रद विराम भी मिला।
प्राण प्रतिष्ठा का गवाह बने श्रद्धालुओं को 35 मिनट के संबोधन में उन्होंने कहा, रामलला अब टेंट में नहीं, दिव्य मंदिर में रहेंगे। निश्चित रूप से 22 जनवरी, 2024 का सूरज एक अद्भुत आभा लेकर आया। आज छोटे से लेकर बड़े तक, सभी इंटरनेट पर यह सर्च कर रहे हैं कि वे श्री रामलला की आरती में कब और कैसे शामिल हो कर उनके दर्शन कर सकते हैं। इंटरनेट पर यह सर्च देश में ही नहीं, विदेश के लोग भी कर रहे हैं जिनमें मुस्लिम देश भी शामिल हैं और यह एक नए युग की शुरुआत भी है। राममंदिर भारत के उत्कर्ष और उदय का साक्षी बनेगा। मंदिर का निर्माण यह सिखाता है कि लक्ष्य प्रमाणित हो तो उसे हासिल किया जा सकता है। यह मंदिर, मात्र एक देव मंदिर नहीं है। यह भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है। यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है।
दरअसल राम मंदिर के जरिए पीएम मोदी ने देश के भीतर एक नई ऊर्जा का संचार किया है। यह भगवान राम की तरह स्व-जीवन, समाज, देश और दुनिया को एक नई दिशा देने के लिए किए गए संकल्पों एवं आदर्शों को पूरा करने की शक्ति प्रदान करता है। यह हमारे नए भारत और भारतीयों की एक नई यात्रा का ऐसा प्रस्थान बिंदु साबित होने वाला है जिससे आने वाले दिनों में बहुत कुछ बदलने जा रहा है। राम मंदिर बनने की वजह से अयोध्या शहर का जो विकास हुआ है और होने जा रहा है, वह किसी से अब छिपा नहीं है। इससे देश की आर्थिक स्थिति में जबरदस्त उछाल आएगा। अयोध्या ने दुनिया को भी पर्यटन उद्योग का एक नया मॉडल पेश किया है। एक अनुमान के मुताबिक आने वाले समय में यहां 5 करोड़ से अधिक टूरिस्ट हर वर्ष आएंगे और यह विश्व का सबसे बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बन जाएगा।
अयोध्या में श्री रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा भारत के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिदृश्य पर अपना व्यापक प्रभाव अवश्य डालेगी, इसमें कोई दो राय नहीं है। यह तेजी से परिवर्तित हो रहे भारत का शंखनाद है। यह संकेत है कि भारत अब एक नए रूप में आगे बढ़ने वाला है। यह बात दीगर है कि फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि इस बदलाव का रूप और स्वरूप क्या एवं कैसा होगा पर इतना निश्चित है कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की जिस संकल्पना को विगत कुछ वर्षों से साकार करने के प्रयास हो रहे थे, उस दिशा में यह मील का पत्थर साबित होने जा रहा है।
राममंदिर का निर्माण हिंदू-अस्मिता का शाश्वत प्रतीक है और जो नौजवान हिंदू हैं, वे अब हिंदू होने और भारतीय होने का गर्व महसूस करे रहे हैं और करेंगे। यह एक नई ऊर्जा है, जिसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संबोधन में किया है। उनका कहना था, राम अग्नि नहीं हैं, राम ऊर्जा हैं। अधिकतर का मानना है कि श्रीराम मंदिर के निर्माण से उनके अंदर एक स्फूर्ति एवं ऊर्जा का संचार हुआ है। उन्हें एक अलौकिक शांति का अहसास हो रहा है।
उन्हें ऐसी अनुभूति हो रही है कि माता-पिता की सेवा करने जैसी पारिवारिक जिम्मेदारी उनको निभानी चाहिए। उन्हें अपने सामाजिक कर्तव्यों का बोध भी हो रहा है। इसका अर्थ यही है कि हिंदू-अस्मिता भले ही अपने देश में एक राजनीतिक मुद्दा रही हो, लेकिन हिंदुओं की एक बड़ी आबादी शांति, भाईचारा, भ्रष्टाचार का उन्मूलन, निःस्वार्थ व निष्काम भाव से सेवा और कर्म को ही अहमियत देना अपनी प्राथमिकता मानती है।
उनमें आपसी तनाव, अन्य समुदाय के लोगों के साथ दुर्व्यवहार जैसे सवालों पर प्रतिकूल रुख ही दिखता है। अब भारतीय समाज दस वर्ष पहले की तुलना में बहुत बदल चुका है। भारतीय जीवन की आपाधापी में कुछ स्वतंत्रताएं लोगों तक पहुंच गई हैं और अब सांस्कृतिक शासन बहुत व्यवस्थित दिखाई देने लगा है। अब जो सांस्कृतिक बदलाव चल रहा है, उसमें आगे की योजना और अनुशासन को जरूर शामिल करना होगा। गौरव के इन पलों में भी ध्यान रखना होगा कि भारत में जीवन बचाने और आधुनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने वाली सभी चीजें धर्म व राजनीति के दायरे में नहीं आती हैं और उन पर भी हमें समग्र रूप से गौर करना होगा। अब हर भारतीय को यह दायित्व समझना होगा कि श्रीराम का यह मंदिर, मात्र एक देव मंदिर ही नहीं है। यह भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है। अयोध्या में यह जो भारतीयता का तीर्थ बना है, वह सिर्फ एक मंदिर नहीं, हमारी सनातनी आस्था का शिखर भी है जो ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ के मंत्र में आस्था रखती है। श्रीराम मंदिर बदलते भारत और पीएम मोदी की गारंटी का सबूत एवं उसका प्रतीक भी है।


















