ब्लिट्ज ब्यूरो
अयोध्या। नाव वाले वैसे तो सारे देश में हैं लेकिन जो सम्मान अयोध्या के मांझी का है, वो कहीं नहीं। अनिल मांझी थोड़ा शर्माते-सकुचाते, बड़ा सा टेडी-बियर बंधी अपनी लाल सीटों और गुलाबी तिरपाल वाली बोट पर बैठे-बैठे ही कहते हैं, ‘लोग हमें तिलक-चंदन करते हैं। गले लगा लेते हैं। पैर धोते हैं। पैर भी छूते हैं और दान दक्षिणा दिए बिना नहीं जाते। पंजाबी और सरदार तो हमें सोने की अंगूठी तक दे जाते हैं। बीरचंद्र माझी को 40 साल हुए सरयूजी में नाव चलाते। उन्होंने नावों को स्टीमर और मोटर बोट में बदलते देखा है। कहते हैं अब तो अयोध्या में क्रूज भी आ रहा है।
ऐसे-ऐसे दानदाता
कुछ लोग पायजेब-बिछिया, कपड़ा-लत्ता, गेहूं-मकई, बर्तन-कुकर दान देते हैं। वो क्या है ना, हमें वो राम को सरयू पार करवाने वाले केवट का रूप मानते हैं।’




















