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भगवान श्रीराम की श्याम वर्ण की मूर्ति को कर्नाटक के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगीराज ने गढ़ा है।
एमबीए करने वाले अरुण ने रामलला की अचल मूर्ति को आकार देने के लिए रोजाना 18-18 घंटे तक काम किया। अचल मूर्ति गढ़ने में करीब सात माह लग गए। अरुण योगीराज बताते हैं कि रोजाना काम शुरू करने से पहले भगवान श्रीराम की आरती-पूजा व हनुमान चालीसा का पाठ करते थे। धुन में मगन अरुण ने 15-15 दिन तक परिवार से बात नहीं की।
अरुण को बचपन से ही मूर्ति बनाने का शौक था। हालांकि एमबीए करने के बाद वह प्राइवेट कंपनी में नौकरी करने लगे, लेकिन मूर्तिकला को नहीं भूले। आखिरकार साल 2008 में नौकरी छोड़ मूर्तिकला में कॅरिअर बनाने उतर पड़े। फैसला कठिन था, मगर सफल रहा। आज वह देश के जाने-माने मूर्तिकार हैं। उनके परिवार में एक से बढ़कर एक मूर्तिकार रहे हैं। उनकी पांच पीढ़ियां मूर्ति बनाने या तराशने का काम कर रही हैं। अरुण के दादा बसवन्ना शिल्पी भी जाने-माने मूर्तिकार थे।



















