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अदालतों में जाने से नहीं डरें, लेकिन इसे आखिरी विकल्प न बनाएं: सीजेआई

संविधान दिवस पर हिंदी में ई-एससीआर किया लॉन्च

by Blitzindiamedia
December 1, 2023
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Don't be afraid to approach courts, but don't make it the last option: CJI
ब्लिट्ज ब्यूरो

नई दिल्ली। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमेशा जनता की अदालत के रूप में काम किया है, इसलिए जनता को अदालतों में जाने से डरना नहीं चाहिए और न ही इसे आखिरी ऑप्शन के रूप में देखना चाहिए। देश की हर अदालत में आने वाला हर केस संवैधानिक शासन का ही विस्तार है।

सीजेआई सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उद्घाटन भाषण दिया। इवेंट में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद रहे।

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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालतें अब अपनी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग कर रही हैं और यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि लोगों को पता चले कि कोर्ट के बंद कमरों के अंदर क्या हो रहा है।

कोर्ट वर्किंग की मीडिया रिपोर्टिंग
कोर्ट की वर्किंग की मीडिया रिपोर्टिंग अदालती कामकाज में जनता की भागीदारी को भी बताती है। सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन की मदद से अपने फैसलों का रीजनल लैंग्वेज में ट्रांसलेशन करने का फैसला भी लिया है।

पहले केस से लेकर 25 नवंबर 2023 तक सुप्रीम कोर्ट ने अंग्रेजी में 36 हजार 68 फैसले सुनाए हैं। हमारी जिला अदालतों में कार्यवाही अंग्रेजी में नहीं होती। ये सभी फैसले ई-एससीआर प्लेटफॉर्म पर मुफ्त में उपलब्ध हैं, जिसे इस साल जनवरी में लॉन्च किया गया था।

21 हजार 388 फैसलों का हिंदी में अनुवाद
सीजेआई ने कहा, संविधान दिवस पर हम हिंदी में ई-एससीआर लॉन्च कर रहे हैं, क्योंकि 21 हजार 388 फैसलों का हिंदी में अनुवाद किया गया है और इन्हें ई-एससीआर पोर्टल पर अपलोड किया गया है। इसके अलावा 25 नवंबर की शाम तक 9 हजार 276 फैसलों का पंजाबी, तमिल, गुजराती, मराठी, मलयालम, बंगाली और उर्दू सहित अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। इवेंट के दौरान सुप्रीम कोर्ट ज्यूडीशियरी से जुड़ा एक सोवेनियर भी लॉन्च किया गया।

लोग न्याय की उम्मीद लेकर अदालत तक आते हैं

सीजेआई ने कहा, पिछले सात दशकों में हजारों नागरिकों ने इस विश्वास के साथ सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए हैं कि उन्हें यहां से न्याय मिलेगा। कई केस तो ऐसे होते हैं, जिनमें लोग अपनी निजी स्वतंतत्रा की सुरक्षा, गैरकानूनी गिरफ्तारियों के खिलाफ जवाबदेही, बंधुआ मजदूरों के अधिकारों की सुरक्षा, आदिवासी अपनी मातृभूमि की सुरक्षा, हाथ से मैला ढोने जैसी सामाजिक बुराइयों की रोकथाम और यहां तक कि साफ हवा पाने के लिए कोर्ट के दखल की उम्मीद के लिए अदालत में आते हैं।

चंद्रचूड़ ने कहा, भारत का सुप्रीम कोर्ट शायद दुनिया की एकमात्र अदालत है जहां कोई भी नागरिक सीजेआई को चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक मशीनरी को गति दे सकता है।

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