ब्लिट्ज ब्यूरो
चेन्नई। लाखों लोगों को रोशनी देने वाले विख्यात नेत्र रोग विशेषज्ञ, चैरिटेबल आई हॉस्पिटल शंकर नेत्रालय के फाउंडर और पद्मश्री-पद्म भूषण से अलंकृत डा. एसएस बद्रीनाथ का 83 वर्ष की आयु में चेन्नई में निधन हो गया। उनके परिवार में उनकी पत्नी बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. वसंती बद्रीनाथ और दो बेटे अनंत व शेषु हैं। डा. बद्रीनाथ और उनके संस्थान में बड़ी हस्तियों से लेकर आम आदमी तक ने भरोसा जताया। 1978 में शुरू अस्पताल में रोज 1200 से ज्यादा मरीज आते हैं और 100 से ज्यादा सर्जरी फ्री होती है। शंकर नेत्रालय आंखों की देखभाल में एम्स से भी बड़ा और सस्ता अस्पताल माना जाता है।
क्यों असाधारण हैं डा. बद्रीनाथ
लोगों की आंखों में झांक लीजिए… जवाब मिल जाएगा कि डा. बद्रीनाथ ‘असाधारण’ क्यों हैं। बचपन में अपने एक दृष्टिबाधित परिचित को असहाय देखना उनकी स्मृति में गहराई से बैठा था। इसलिए उन्होंने हमेशा यही सपना देखा कि जरूरतमंदों के लिए अस्पताल शुरू करना है। माता-पिता बचपन में साथ छोड़ गए थे। उनके बीमा के बदले मिले पैसे से बद्रीनाथ ने मेडिकल की पढ़ाई की। 1962 में अमेरिका में विशेषज्ञता हासिल की। डा. बद्रीनाथ ने एक बार बताया था कि उनके गुरु डा. चार्ल्स शेपेंस ने उन्हें इसी शर्त पर ट्रेनिंग की अनुमति दी थी कि वे भारत लौटेंगे। डा. शेपेंस ने जितने भी लोगों को ट्रेनिंग दी, वे सब अमेरिका में ही सैटेल हो गए। डा. बद्रीनाथ पत्नी और डेढ़ साल के बेटे के साथ भारत लौट आए।
– 1978 में डा. एसएस बद्रीनाथ द्वारा स्थापित अस्पताल में रोज 1200 से ज्यादा मरीज आते हैं और 100 से ज्यादा सर्जरी फ्री होती हैं।
लोगों का भरोसा ऐसा था कि श्रीमद अंदावन स्वामीगल बद्रीनाथ से सर्जरी कराने 330 किमी पैदल त्रिची से चेन्नई पहुंचे थे। पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन ने भी उनसे इलाज करवाया था। बाद में जिनेवा में वेंकटरमन की जांच करने वाले एक डॉक्टर ने कहा था कि अगर मुहम्मद अली भी उनकी आंख पर मुक्का मारेंगे, तो कुछ नहीं होगा। न्यायविद नानी पालकीवाला ने डा. बद्रीनाथ को इलाज के लिए एक बार मुंबई बुलवाया। था। जब उन्हें पता चला कि शंकर नेत्रालय में एक्सपर्ट मामूली वेतन पर काम करते हैं, तो पालकीवाला ने अपने सभी शेयर उन्हें दे दिए। अगले साल सारी नकदी और अंत में पूरी संपत्ति शंकर नेत्रालय को दे थी।
मेरे निधन के बाद भी अस्पताल में काम न रुके
रिटायरमेंट के बाद भी डा. बद्रीनाथ रोज सुबह 11.30 से शाम 5.30 बजे तक संस्थान में काम करते थे। उन्होंने कहा था, घर जाकर कॉफी पीता हूं और पत्नी के साथ मराठी फिल्म देखता हूं। उन्हें मराठी नहीं आती थी, पर पत्नी को पसंद थी। उन्होंने कहा था कि मेरे निधन के बाद अस्पताल में काम न रुके। जो शोक जताना चाहते हैं, वे काली पट्टी बांधकर काम करें।

असाधारण दूरदृष्टि, निस्वार्थ सेवा और करुणा के प्रतीक के रूप में डा. बद्रीनाथ की सराहना करते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने ‘एक्स’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘ शंकर नेत्रालय के माध्यम से उन्होंने लाखों गरीबों और जरूरतमंदों के जीवन को आसान किया। उनके परिवार और उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना ओम शांति!’’

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उनके परिवार और दोस्तों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.एसएस बद्रीनाथ के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ है।