वैश्विक आबादी की वृद्धि दर में 2020 से हालांकि एक फीसदी की गिरावट आई है लेकिन संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2080 में दुनिया की आबादी पीक पर पहुंचेगी और उसके 20 साल बाद यानी 2100 में इसमें गिरावट का दौर शुरू होगा। इस बीच 2023 में भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी और भारत दुनिया में सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की तरफ से जारी रिपोर्ट के अनुसार, 15 नवंबर को दुनिया का आठ अरबवां बच्चा पैदा हुआ जिसके साथ ही दुनिया की आबादी आठ अरब हो गई। हालांकि आबादी की वृद्धि की रफ्तार को ब्रेक लगी है लेकिन अभी भी यह बढ़ रही है। दरअसल, विश्व की आबादी को सात से आठ अरब होने में 12 साल लगे हैं, लेकिन 9 अरब होने में 15 साल लगेंगे। 2037 तक दुनिया की आबादी 9 अरब होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व में 1950 के बाद हालांकि पहली बार आबादी की बढ़ोत्तरी दर में एक फीसदी की गिरावट आई है और उच्च एवं मध्यम आय वाले 61 बड़े देशों में आबादी की रफ्तार को ब्रेक लगा है, जिनमें भारत एवं चीन भी शामिल हैं लेकिन इन देशों का जनसांख्यिकी ढांचा इस प्रकार का बन चुका है कि उसमें प्रजनन आयु वर्ग वाली आबादी ज्यादा है। ऐसे में आने वाले समय में उच्च एवं मध्यम आय वाले देशों में दो तिहाई आबादी सिर्फ ज्यादा युवा आबादी की वजह से बढ़ेगी। ऐसे में सरकारों के लिए वहां बहुत कुछ करने का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। वहीं दूसरी तरफ 46 कम आय वाले देशों की आबादी 2050 तक तेजी से बढ़ते हुए दोगुनी हो जाएगी। मौजूदा समय में विश्व में प्रति महिला प्रजनन दर 2.3 है। जबकि 1950 में यह पांच थी लेकिन जनसंख्या स्थिर करने के लिए यह दर 2.1 तक नीचे आनी जरूरी है। यह लक्ष्य 2050 तक ही हासिल हो सकेगा। इसी प्रकार 2050 में बच्चों से दोगुने बुजुर्ग होंगे। तब 65 साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या पांच साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या की तुलना में दोगुनी होगी।
2030 में विश्व की जनसंख्या 8.5 अरब पहुंचेगी
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में चीन की आबादी 1.42 अरब तथा भारत की 1.41 अरब के बीच होने का अनुमान है। 2050 में भारत की कुल आबादी 1.68 अरब होगी और तब चीन की आबादी घटकर 1.33 अरब रह जाएगी। तीसरे नंबर पर ज्यादा आबादी वाला देश अभी भी अमेरिका है जिसकी आबादी 33.7 करोड़ है। 2050 में उसकी आबादी 37.5 करोड़ रहने का अनुमान है। 2030 में दुनिया की आबादी 8.5, 2050 में 9.7 तथा 2100 में 10.4 अरब पहुंच जाएगी।
दुनिया का 8,00,00,00,000 बच्चा फिलिपीन्स में हुआ पैदा
15 नवंबर को दुनिया की आबादी आठ अरब हो गई। दुनिया का 8 अरबवां नागरिक कौन है? यह एक बच्ची है जो पैदा हुई फिलिपीन्स के मनीला स्थित टोंडो में। डॉक्टर जोस फैबेला मेमोरियल हॉस्पिटल में स्थानीय समयानुसार 1.29 बजे पैदा हुई इस बच्ची का नाम है विनिस माबनसैग। विनिस के जन्म को फिलिपीन्स के जनसंख्या और विकास आयोग द्वारा जमकर सेलेब्रेट किया गया। आयोग ने बच्ची और उसकी मां की फोटो फेसबुक पर भी शेयर की है।
लिखी गई खास फेसबुक पोस्ट : फिलिपीन्स के जनसंख्या और विकास आयोग ने इस बारे में फेसबुक पोस्ट भी लिखी है। मनीला के टोंडो में पैदा हुई बच्ची को सिंबोलिक तौर पर दुनिया का आठ अरबवां नागरिक माना गया है। हमारा प्लैनेट अब 8 अरब लोगों का घर है। वैश्विक आबादी में एक अरब लोगों को जुड़ने में 12 साल लग गए हैं। यूएन ने यह भी कहा है कि अगले साल भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा।
भारत में हर मिनट में 26, चीन में 10 और यूएस में तीन बच्चों का होता है जन्म
नई दिल्ली। हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की रिपोर्ट में भारत को लेकर कुछ दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं। भारत में हर मिनट में 26 की औसत से जनसंख्या बढ़ रही है। इसका अर्थ है कि हर मिनट भारत में 26 बच्चे पैदा होते हैं। इसका अर्थ है कि भारत में हर घंटे डेढ़ हजार से अधिक और एक दिन में 37 हजार से अधिक बच्चे जन्म लेते हैं। वहीं, यदि भारत की तुलना चीन से करें तो वहां पर हर मिनट में दस बच्चे पैदा होते हैं। यदि इन दोनों ही देशों की तुलना अमेरिका से करें तो वहां पर हर मिनट में केवल तीन बच्चे पैदा होते हैं। संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 13 जुलाई 2022 को भारत की आबादी डेढ़ अरब (1,512,624,453,678) को पार कर चुकी है।
यूएन की रिपोर्ट में केवल भारत को लेकर ही बात नहीं की गई है बल्कि ये भी कहा गया है कि इस वर्ष नवंबर में विश्व की आबादी आठ अरब हो जाएगी। § खास बात ये है कि विश्व ने 31 अक्टूबर 2011 को सात अरब का आंकड़ा छुआ था। 1959 में विश्व की कुल आबादी 3 अरब थी जबकि 1999 में ये दोगुनी होकर 6 अरब हो गई थी। रिपोर्ट बताती है कि वर्तमान में विश्व की जनसंख्या 1.05 फीसद प्रति वर्ष की रफ्तार से बढ़ रही है और हर वर्ष करीब आठ करोड़ लोग इसमें जुड़ जाते हैं। 1960 के दशक में विश्व की जनसंख्या में सबसे अधिक तेजी देखी गई थी और तब इसकी रफ्तार करीब 2.09 फीसद थी। § यूएन की रिपोर्ट बताती है कि आने वाले समय में विश्व की जनसंख्या में वृद्धि की गति वर्ष 2050 तक 0.50 फीसद और वर्ष 2100 तक 0.03 फीसद तक हो जाएगी। § 1800 में विश्व की आबादी 1 अरब हुआ करती थी। विश्व में आई औद्योगिक क्रांति ने इसको नई उड़ान दी। इसके बाद अगले 130 वर्षों में (1930) ये 2 अरब हो गई थी। वहीं अगले महज 30 वर्षों में (1960) विश्व की आबादी आश्चर्यजनक रूप से तीन अरब और अगले 15 वर्षों (1974) में ये 4 अरब तक जा पहुंची थी। 1987 में विश्व की आबादी 5 अरब, 1999 में छह अरब और 2011 में ये 7 अरब थी। कहने का अर्थ है कि विश्व की जनसंख्या के तेजी से बढ़ने का समय लगातार कम हुआ है।