अयोध्या। अयोध्या के समन्वित विकास को लेकर नया सिस्टम विकसित किया जा रहा है। इसके संचालन के लिए प्रदेश सरकार ने अयोध्या धाम विकास परिषद का गठन किया है। हालांकि इसकी अभी केवल एक ही बैठक सीएम की अध्यक्षता में हुई है। अब लोकसभा चुनाव के बाद आचार संहिता हटते ही यह संस्था काम शुरू करेगी। अयोध्या धाम विकास परिषद के सीईओ संतोष कुमार शर्मा के मुताबिक अयोध्या को देश के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए जिले भर के तीर्थ स्थलों के अलावा इसके विकास की योजनाओं को समन्वित रूप से विकसित करने का काम परिषद करेगी।
अन्य अधिकारी भी जोड़े गए
अयोध्या के पर्यटन से लेकर अन्य विभागों के अधिकारी भी इस परिषद से जोड़े गए हैं, जो अपने विभाग की विकास योजनाओं के प्रोजेक्ट को अयोध्या धाम विकास परिषद के पास भेजेंगे। इसकी समीक्षा के साथ परिमार्जन कर परिषद की कमेटी अनुमोदन करेगी। इससे पूरी योजना को सभी विभाग टीमवर्क के तौर पर साथ काम कर समय से पूरा करवाएंगे।
कार्ययोजना 2024-25
मंडल के डिप्टी डायरेक्टर (पर्यटन) आरपी यादव ने बताया कि पर्यटन विभाग की कार्ययोजना 2024-25 का प्रस्ताव अयोध्या धाम विकास परिषद को भेजा गया है। अभी तक पर्यटन विभाग के आधीन दो मंडलों के 9 जिले थे। इनमें पर्यटन विभाग को अपनी योजनाओं को तैयार करने से लेकर उसे पूरा करवाने का अधिकार मिला था।
मेंटिनेंस व संचालन का अधिकार अब दोनों परिषदों के अधीन
अब अयोध्या और देवीपाटन धाम विकास परिषद के गठन के बाद इन दो जिलों में वित्तीय मेंटिनेंस और संचालन का अधिकार अपने-अपने क्षेत्रों में दोनों परिषदों के अधीन हो गया है। अब पर्यटन और विकास से जुड़े अन्य विभाग अपनी परियोजनाओं का ड्राफ्ट अयोध्या विकास परिषद को भेजेंगे जिसका अनुमोदन संशोधन व वित्तीय फंड परिषद ही रिलीज करेगी।
ये हैं प्रमुख प्रस्ताव
आरपी यादव के मुताबिक पर्यटन विभाग ने 2024-25 वर्ष के लिए जो प्रोजेक्ट के प्रस्ताव भेजे हैं उनमें जनप्रतिनिधियों के भेजे प्रस्तावों को भी शामिल किया गया है। अभी तक अयोध्या के ही 37 मंदिरों के हेरिटेज स्वरूप में विकसित करने की योजना पर काम चल रहा था। अब नए प्रस्ताव में 125 मंदिरों की सूची तैयार की गई है, जिसमें जिले के ग्रामीण इलाके में धार्मिक व तीर्थ स्थलों के साथ पुरातत्व महत्व के स्थलों, मठ, मंदिरों सरोवरों और पर्यटन महत्व के स्थलों को रखा गया है।
ईको टूरिजम का प्रोजेक्ट
डिप्टी डायरेक्टर यादव के मुताबिक प्रस्ताव में ईको टूरिज्म को विकसित करने वाली परियोजनाओं को जोड़ा गया है। इसमें ऐसे गांवों का चयन किया गया है जहां के कुम्हार दीपोत्सव के महोत्सव पर लाखों की संख्या में दीयों को तैयार कर गिनीज बुक में हर साल जिले का नाम दर्ज करवाते हैं। इन गांवों को आधुनिक तकनीक से जोड़ कर ईकोटेक गांव के रूप में विकसित किए जाने की योजना है। सोहावल तहसील में, जहां समदा झील को ईको टूरिजम के तौर पर विकसित किया गया है। यहां ग्रामीण परिवेश को डिजाइन कर पर्यटक केंद्र के तौर पर विकसित किया गया है। इसके मेंटिनेंस और संचालन की जिम्मेदारी एक प्राइवेट एजेंसी को सौंपी गई है, जिससे इसका विकसित स्वरूप बरकरार रखा जा सके।
वाटर बॉडी टूरिज्म
लखनऊ अयोध्या हाईवे के पास सोहावल तहसील में नीलकंठ सुरवारी का सर्वे वाटर बॉडी टूरिजम के लिए किया गया है। यह भी टूरिस्टों के आकर्षण का केंद्र बनेगा। इसके साथ जनजीवन से जुड़े स्थलों को टूरिज्म के तहत समेटा जा रहा है। बड़े तालाबों में मछलियों और जलीय जीव-जंतुओं को डाल कर उनका संरक्षण किया जाएगा। इन स्थलों को पर्यटन केंद्र के मानकों के मुताबिक सुविधाओं से लैस करने की योजना है। ऐसे स्थल बच्चों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे।