ब्लिट्ज ब्यूरो
शिमला। हिमाचल प्रदेश में एक बार फिर जनता ने रिवाज कायम रखते हुए राज बदल दिया है। कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर बहुमत हािसल कर लिया है। वहीं, भाजपा 25 सीटों पर सिमट गई। 2017 के मुकाबले उसे 19 सीटों का नुकसान हुआ। 3 सीटों पर निर्दलियों ने जीत दर्ज की है। आम आदमी पार्टी पहाड़ में खाता भी नहीं खोल पाई। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नतीजों के बाद इस्तीफा दे दिया।
हिमाचल चुनाव में 6 फीसद वोट भाजपा के हाथ से निकल जाने से सत्ता पलट गई और कांग्रेस ने भाजपा की 19 सीटें छीन लीं। यही संख्या भाजपा की हार का सबसे बड़ा कारण रहा। वोट खिसकने का मुख्य कारण भाजपा के बागी उम्मीदवार रहे। नालागढ़ में निर्दलीय प्रत्याशी केएल ठाकुर जीत गए, वहीं कुल्लू में राम सिंह हार का कारण बने, इंदौरा में भी भाजपा के विद्रोही के कारण हार मिली, किन्नौर में तेजवंत नेगी ने विद्रोही के रुप में चुनाव लड़ते हुए हजारों वोट हासिल किए। धर्मशाला, फतेहपुर और देहरा में भी भाजपा के विद्रोही हार का कारण बने। हमीरपुर के बड़सर में, कुल्लू के मनाली में, चंबा सदर में विद्रोही के चुनावी समर में उतरने के कारण पार्टी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।
10 में से 8 मंत्री चुनाव हारे : हिमाचल में हर चुनाव में 45 से 75 प्रतिशत मंत्रियों के चुनाव हारने का रिकॉर्ड है रहा। कैबिनेट के 10 में से 8 मंत्री चुनाव हार गए।