भारत के विकास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस प्रकार की नीति अपना रहे हैं, उसकी तुलना वर्तमान में किसी से नहीं की जा सकती। कोई उसे मोदी की कूटनीति तो कोई खेल कूटनीति की संज्ञा देता है। इस बात में भी कोई शक नहीं कि प्रधानमंत्री मोदी इस बात को भी भलीभांति समझते और जानते हैं कि हर अवसर का लाभ कैसे उठाना है। अभी हाल ही में आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भारत यात्रा पर आए थे। पीएम मोदी ने इस अवसर को देश के विकास की यात्रा से इस प्रकार जोड़ दिया कि लोगों ने उसे मोदी की खेल कूटनीति की संज्ञा दे दी। मोदी ने इस खेल कूटनीति के जरिए भारत और आस्ट्रेलिया के बीच रिश्तों को और मजबूत तथा प्रगाढ़ करने के सफल प्रयास किए।
अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में चौथा और अंतिम टेस्ट मैच खेला गया। आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज इस मैच से एक दिन पूर्व ही भारत पहुंचे थे। यह एक अच्छा अवसर था जब दोनों देशों के प्रमुख उस मैच में भाग लेकर अपनी दोस्ती की मजबूती को दुनिया के सामने दर्शा सकें। आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के साथ भारतीय प्रधानमंत्री मोदी स्टेडियम पहुंचे और दोनों नेताओं ने अपने-अपने देशों के खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया। स्वाभाविक ही है कि इससे दर्शकों और दुनिया के बीच में भी दोनों देशों के बीच प्रगाढ़ होते रिश्तों का खुशनुमा संदेश गया। इस संदेश को आपसी सहयोग की दिशा में तेजी से बढ़ रहे कदमों के रूप में भी देखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि है कि इस दौरान रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के साथ-साथ भारत और आस्ट्रेलिया के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने पर भी सहमति बनी।
सभी इस तथ्य से परिचित हैं कि राष्ट्रों के प्रमुख खेल, सांस्कृतिक आयोजनों आदि में शिरकत करके भी अपने देशों के रिश्ते प्रगाढ़ करने का प्रयास करते हैं। जब भी किसी मित्र देश का सर्वोच्च नेता किसी देश में मेहमान बन कर आता है तो उसे देश की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराया जाता है। मुलाकात, बातचीत, समझौतों आदि के लिए ऐसे स्थानों का चयन किया जाता है, जहां से बड़े संदेश देश व दुनिया को दिए जा सकें। चूंकि क्रिकेट और फुटबाल दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल हैं इसलिए इनके बड़े आयोजनों में भी राष्ट्रों के प्रमुख हिस्सा लिया करते हैं। यह बात दीगर है कि नरेंद्र मोदी स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया प्रतिस्पर्धी थे पर दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस मौके का लाभ भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों और परस्पर सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए उठाया।
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच दोस्ती का यह 75वां वर्ष है। विगत कुछ सालों में दोनों देशों के बीच व्यापारिक और वाणिज्यिक संबंध लगातार मजबूत होते गए हैं। इस बार की भारत यात्रा पर भी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने यह घोषणा की कि गुजरात में आस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय अपना कैंपस खोलेगा। दोनों देश शिक्षा के क्षेत्र में संबंधों को और दृढ़ करने की दिशा में नए आयाम स्थापित करेंगे। इस प्रकार ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा देश होगा जिसने अपने किसी विश्वविद्यालय का परिसर खोलने का एलान किया है। आस्ट्रेलिया, भारत का सत्रहवां बड़ा व्यापारिक सहयोगी देश है और भारत आस्ट्रेलिया का नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी देश। दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में कभी कड़वाहट नजर नहीं आई। यहां तक कि कोरोना प्रभाव के चलते जब दुनिया भर में व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित हुईं तब भी दोनों देशों के बीच व्यापार निरंतर चलता रहा, बढ़ता रहा। उस दौरान आस्ट्रेलिया को भारत का निर्यात एक सौ पैंतीस फीसद बढ़ा। भारतीय वस्तुओं के लिए आस्ट्रेलिया एक बड़ा बाजार है और ऐसे वक्त में जब भारत अपना निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रहा है, ऑस्ट्रेलिया के साथ उसके रिश्तों मंश बढ़ती गर्मजोशी से स्वाभाविक ही सकारात्मक नतीजे निकलेंगे।
भारत का जोर हमेशा से छोटे देशों के साथ मिल कर व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर रहा है, ताकि पश्चिमी और ताकतवर देशों के समक्ष एक मजबूत गठजोड़ तैयार किया जा सके। आस्ट्रेलिया के साथ रिश्तों की अहमियत इस दृष्टि से बड़ी है। अब रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद दुनिया में जिस तरह महाशक्तियों का ध्रुवीकरण हो रहा है, उसमें व्यापारिक गतिविधियों के समीकरण बदलते देखे जा रहे हैं। ऐसे में भारत जैसे देशों को अपने व्यापारिक सहयोगियों का अलग तंत्र विकसित करना ही होगा। आज भारत और पीएम मोदी की विदेश नीति और कूटनीति ‘सबका विकास, सबका साथ, सबका विश्वास’ और खुली सोच तथा व्यावहारिकता पर आधारित है। इसका लक्ष्य भारत को सुपरसोनिक गति से आगे बढ़ाना है।