ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। देश में स्पेन की तर्ज पर अंगदान को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए एम्स में ट्रांसप्लांट प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट (टीपीएम) कोर्स शुरू किया गया है। इस मामले में एम्स के न्यूरो सर्जरी के प्रोफेसर डा. दीपक गुप्ता का कहना है कि इस कोर्स के माध्यम से डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर अंगदान के लिए प्रतिबद्ध पेशेवर टीम तैयार की जाएगी। देश में 1994 में अंगदान के लिए कानून बना था। कानून बनने के बाद से अंगदान का आंकड़ा एक हजार नहीं पहुंच पाया है। पिछले वर्ष देश में ब्रेन डेड हुए 904 लोगों के अंगदान से 2765 अंग प्रत्यारोपित हुए। एक ब्रेन डेड व्यक्ति से आठ से नौ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। मौजूदा समय में देश में एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान से औसतन तीन लोगों को अंग प्रत्यारोपण हो पा रहा है। अंगदान को बढ़ावा देने के लिए स्पेन सहित अमेरिका, जापान व इटली से 15 डॉक्टरों को बुलाकर यह चर्चा की गई। स्पेन के डीटीआई (डोनेशन एंड ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट) फाउंडेशन के डेवलपमेंट डायरेक्टर व बार्सिलोना यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर च्लोए बैलेस्टे ने बताया कि स्पेन में अंगदान कार्यक्रम में पेशेवर लोगों की नियुक्ति की गई है। अंगदान की जिम्मेदारी आईसीयू में नियुक्त डाक्टर लेते हैं, जबकि भारत में अस्पतालों में नियुक्त अंगदान संयोजक डॉक्टर नहीं होते। देश में अंगदान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण के पास 15 करोड़ रुपये का बजट होने के बाद भी अंगदान कम होते हैं।