दीपक द्विवेदी
भारत आज शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के प्रयासों के तहत तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसकी एक झलक अभी-अभी क्वाक्वेरेली साइमंड्स यानी क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (सब्जेक्ट्स) में देखने को मिली है। क्यूएस रैंकिंग सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में से एक है जो दुनिया भर में संस्थानों के प्रदर्शन और लोकप्रियता का आकलन करती है जिसमें शिक्षण, अनुसंधान, रोजगार क्षमता का पोषण और अंतर्राष्ट्रीयकरण जैसे पहलुओं व मानकों पर विशेष रूप से गौर किया जाता है। वर्ष 2024 के लिए जारी क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में बेहतर प्रदर्शन कर के देश की संस्थाओं ने भारत की साख व धाक, दोनों में वृद्धि की है। गत वर्ष भी भारत का रैंकिंग के संदर्भ में बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिला था। इस वर्ष विषय के अनुसार भारत की रैंकिंग में प्रविष्टियों और समग्र प्रदर्शन के हिसाब से क्रमशः 19 प्रतिशत और 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
हर साल विभिन्न कारकों के आधार पर संस्थानों को यह रैंकिंग सौंपी जाती है। क्यूएस की लिस्ट में भारत के कई शिक्षा संस्थानों ने अपनी रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार किया है। आईआईएम अहमदाबाद, बेंगलुरु, कलकत्ता अब ग्लोबल लेवल पर टॉप 50 में शामिल हो गए हैं। सब्जेक्ट के हिसाब से अलग-अलग कैटिगरी को देखें तो बिजनेस एंड मैनेजमेंट स्टडीज में आईआईएम अहमदाबाद अब 53वें स्थान से 22वें नंबर पर आ गया है। आईआईएम बेंगलुरु 32वें और कलकत्ता 108वें स्थान से 50वें नंबर पर आ गया है। वहीं डेवलपमेंट स्टडीज में जेएनयू को भारत में बेस्ट रैंकिंग हासिल हुई है। कंप्यूटर साइंस एंड इन्फार्मेशन सिस्टम में वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को 136वीं रैंक हासिल हुई है।
वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग क्यूएस द्वारा हर साल प्रकाशित की जाती है। यह रैंकिंग दुनिया भर के विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन और गुणवत्ता का मूल्यांकन करती है। इस रैंकिंग में विषय, क्षेत्र, छात्र, शहर, बिज़नेस स्कूल और स्थिरता के आधार पर रैंकिंग दी जाती है। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में बेहतर होने से विदेशी छात्रों के भारत में पढ़ने की संख्या भी बढ़ सकती है। क्यूएस की सीईओ जेसिका टर्नर का कथन है कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है और पीएम मोदी की सरकार के द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी इस मुद्दे को गंभीरता से लिया गया है। क्यूएस के अनुसार भारत दुनिया में सबसे तेजी से शोध केंद्रों का विस्तार कर रहा है। 2017 से 2022 के बीच रिसर्च में 54 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है जो ग्लोबल औसत के दोगुने से अधिक है।
रैंकिंग के मामले में देश की आईआईटी भी पीछे नहीं हैं। आईआईटी बॉम्बे ने इंजीनियरिंग-मिनरल एंड माइनिंग सब्जेक्ट में 25वां स्थान हासिल किया है। इसी संस्थान को डेटा साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में 30वां नंबर मिला है। आईआईटी मद्रास को इंजीनियरिंग-मैकेनिकल, एरोनोटिकल एंड मैन्युफैक्चरिंग सब्जेक्ट में 44वां स्थान मिला है। इसी तरह से कई इंजीनियरिंग संस्थान अलग-अलग विषयों में टॉप 100 में हैं। इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस कैटिगरी में आईआईटी दिल्ली 19वें, आईआईटी मद्रास 22वें, आईआईटी खड़गपुर 27वें एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी 30वें नंबर पर है। इसमें कोई दोराय नहीं कि विदेश या भारत में कहीं भी पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालयों का चयन करने वाले छात्रों के लिए विश्वविद्यालय रैंकिंग सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक बन चुकी है। रैंकिंग न केवल सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों को अधिशेष से अलग करने में मदद करती है, बल्कि यह मापदंडों और संकेतकों के उपयोग के माध्यम से छात्रों को अतिरिक्त जानकारी और गहन विश्वविद्यालय विश्लेषण तक पहुंच भी प्रदान करती है। इसीलिए छात्रों की मांग पर हाल ही में दुनिया भर के विश्वविद्यालयों को रैंक के पैमाने पर सूचीबद्ध करने के लिए क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग पद्धतियों में तीन नए मेट्रिक्स और जोड़े गए हैं, यानी अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क, स्थिरता और रोजगार परिणाम ताकि छात्रों को अपना भविष्य निर्धारित करने के लिए बेहतर से बेहतर संस्थान का चयन करने में आसानी हो सके क्योंकि यदि भविष्य अच्छा होगा तो वे भी आगे बढ़ेंगे और देश भी आगे जाएगा।