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नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर सरदार पटेल स्कूल में कहा कि सरदार पटेल हर भारतीय के मन में बसे थे। वो भारत की मिट्टी की उपज हैं। शाह ने कहा कि देश का पीएम बनने के लिए सबसे ज्यादा वोट कांग्रेस वर्किंग कमेटी में उस वक्त सरदार को मिले थे लेकिन उन्होंने इसका त्याग किया और देश के लिए काम किया। अमित शाह ने कहा कि सरदार पटेल सरीखे ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने बड़े काम किए पर अपनी प्रसिद्धि के लिए नहीं। शाह ने देश की स्वतंत्रता के बाद 500 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय कराने में सरदार पटेल के योगदान को भी याद किया।
अमित शाह ने कहा कि नेता के आंदोलन के साथ लोगों का जुड़ाव होना चाहिए और सरदार पटेल के साथ ऐसा था। इसके बावजूद सरदार पटेल ने अपने लिए कुछ नहीं किया। देश की एकता और अखंडता के पर्याय भारत रत्न सरदार पटेल की जयंती पर गुजरात एजुकेशन सोसाइटी द्वारा आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि सरदार को भारत रत्न मिलने, उनका स्मारक बनने और उनके विचारों को संकलित करने में कई साल लग गए। इसके बावजूद सरदार पटेल अमर हैं। अमित शाह ने कहा कि हम सब सरदार के प्रशंसक हैं इसलिए उनके विचार प्रासंगिक हैं। शाह ने कहा कि देश के तीन लाख किसानों के सामानों का अवशेष स्टेचू ऑफ यूनिटी में लगा है। शाह ने कहा कि कोऑपरेटिव मूवमेंट को जमीन पर उतारने का श्रेय सरदार पटेल को है। उनके प्रयास से बना अमूल हर साल गुजरात की 36 लाख बहनों के रोजगार देता है। शाह ने कहा कि जब तक सरदार को नहीं मानोगे, तब तक उनको नहीं समझ पाओगे। पूरा देश जब आजादी के जश्न में शामिल था तो सरदार पटेल देश को एकजुट करने में जुटे थे। अगर सरदार पटेल नहीं होते तो अखंड भारत की कल्पना नहीं होती। अखिल भारतीय सेवा की नींव भी सरदार पटेल ने रखी। सरदार वल्लभाई पटेल अपने कार्यों के कारण शाश्वत हैं। अमित शाह ने कहा कि देश में एक आम राय है कि अगर सरदार पटेल भारत के पहले पीएम होते तो देश को आज जितनी भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, उनमें से अधिकांश का सामना न करना पड़ता।अमित शाह ने कहा कि हर भाषा को जिन्दा रखना है। भारत में अपनी भाषा को जिन्दा रखना चाहिए। दूसरी भाषा नहीं थोपने देना चाहिए। बच्चों के साथ शिक्षक मातृभाषा में बात करें। भाषा नहीं टूटनी चाहिए। अगर हम केवल अंग्रेजी में ही बात करना अच्छा समझते हैं, तो ये गलत है क्योंकि सिर्फ 5 फीसदी लोग ही अंग्रेजी समझते हैं। 95 फीसदी हिन्दी समझते हैं। 7 भाषाओं को यहां पढ़ाया जाता है ये बहुत अच्छी बात है। शाह ने कहा कि रिसर्च और टेक्निकल एजुकेशन स्थानीय भाषा में ही होना चाहिए।