आस्था भट्टाचार्य
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को ‘इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिसर्च जर्नल सेंट्रल बैंकिंग’ ने 2023 के लिए ‘गवर्नर ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड दिया है। कठिन समय में अपनी स्थिर लीडरशिप के लिए दास को ये अवॉर्ड मिला है। वहीं ‘सेंट्रल बैंक ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड यूक्रेन के नेशनल बैंक को दिया गया है। देश में सरकारी बैंकों में एनपीए कम करने को लेकर दास की भूमिका काफी अहम मानी जाती है। उन्होंने बैंकिंग सेक्टर में कई अहम बदलाव भी किए हैं।
दास ने इन चुनौतियों पर विजय पाई
दास के सामने बड़ी नॉन-बैंकिंग फर्म आईएल एंड एफएस के दिवालिया होने से लेकर कोविड-19 महामारी की पहली और दूसरी लहर के साथ यूक्रेन पर रूस के आक्रमण जैसी चुनौतियां आई ं। दास की लीडरशिप में आरबीआई ने क्रिटिकल रिफॉर्म्स को लागू किया, इनोवेटिव पेमेंट सिस्टम्स की शुरुआत की और महामारी के दौरान ग्रोथ-सपोर्टिव मेजर्स भी दिए।
सेंट्रल बैंकिंग ने तारीफ की
इंटेंस पॉलिटिकल प्रेशर और इकोनॉमिक डिजास्टर्स के बीच आरबीआई को चतुराई से चलाने के लिए भी इंटरनेशनल सेंट्रल बैंकिंग ने दास की तारीफ की है। यह दूसरी बार है, जब किसी भारतीय केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने यह अवॉर्ड जीता है। 2015 में रघुराम राजन को ‘गवर्नर ऑफ द ईयर’ अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
1980 बैच के आईएएस
शक्तिकांत दास दिल्ली से स्टीफन कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएट हैं और 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। 2017 मई तक वह सेक्रेटरी इकोनॉमिक अफेयर्स थे। दास ने 12 दिसंबर 2018 को आरबीआई के 25 वें गवर्नर का पद संभाला था। उन्हें उर्जित पटेल के इस्तीफे के बाद गवर्नर बनाया गया था। नवंबर 2016 में जब नोटबंदी हुई थी, तब भी दास ही मुख्य मोर्चे पर थे। दास ने 15 वें फाइनेंस कमीशन में सदस्य के रूप में भी काम किया था। भारत की ओर से ब्रिक्स, इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड और सार्क में प्रतिनिधित्व किया है। वह पंद्रहवें वित्त आयोग और जी20 में भारत की ओर से शेरपा के सदस्य थे। एक आईएएस अधिकारी के रूप में अपने करियर के दौरान दास आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, उर्वरक सचिव सहित आदि रह चुके हैं।
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मोदी बोले, बेहद गर्व की बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताते हुए कहा कि इस प्रकार का सम्मान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलना देश के लिए बेहद गर्व की बात है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास को बहुत-बहुत बधाई।
विदेशी बैंकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं भारतीय बैंक
नई दिल्ली। अमेरिका के दो बड़े बैंकों के दिवालिया होने का असर भारतीय बैंकों पर नहीं होगा। अमेरिकी इन्वेस्टमेंट कंपनी जेफरीज और फाइनेंशियल सर्विसेस फर्म मैक्वेरी ने ऐसा भरोसा जताया है। इनका कहना है कि स्थानीय डिपॉजिट पर निर्भरता, सरकारी बॉन्ड में निवेश और पर्याप्त नकदी के चलते भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं। इन फर्मों ने कहा कि कुछ महीनों से भारतीय बैंक विदेशी बैंकों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। जेफरीज के मुताबिक अधिकांश भारतीय बैंकों ने 22-28 प्रतिशत ही सिक्योरिटीज में निवेश किया है। बैंकों के सिक्योरिटीज निवेश में 80 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बॉन्ड की है। अधिकांश बैंक इनमें से 72-78 प्रतिशत मैच्योरिटी तक रखते हैं। इसका मतलब है कि इनकी कीमतों में गिरावट का असर इस निवेश पर नहीं होगा।