पत्रकारिता के गुरुओं का कहना है कि जिस दिन कलम का संतुलन बिगड़ जाए उस दिन पत्रकारिता छोड़ किसी कंपनी के पीआरओ या पार्टी का प्रवक्ता बन जाना चाहिए किंतु असंतुलित या एकतरफा पक्ष पर कलम चलाकर पत्रकारिता का अपमान नहीं करना चाहिए। किसी भी देश की विकास यात्रा में पत्रकारिता की अहम भूमिका होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पत्रकारिता की अहमियत बताते हुए कहा है कि भारत की परंपरा, संस्कृति, आजादी की लड़ाई और विकास यात्रा में भारतीय भाषाओं की पत्रकारिता की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। विकास यात्रा में पत्रकारिता देश के बदलाव और डिजिटल विकास की झलक दिखाती है। ऐसे ही विचार 18 फरवरी को ब्लिट्ज इंडिया समूह की प्रथम वर्षगांठ व विस्तार कार्यक्रम में आए देश के दिग्गजों ने व्यक्त किए। देश के अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता ने अपने गौरवशाली संबोधन में कहा कि वास्तविक पत्रकारिता को व्यापक संदर्भों में समझना होगा। आमतौर पर यह मान लिया जाता है कि व्यवस्था विरोधी (एंटी इस्टेब्लिशमेंट) रिपोर्टिंग लोकप्रिय होने का, अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच बनाने का सबसे आसान तरीका है। बिना किसी कारण के व्यवस्था से बागी हो जाना उचित नहीं है। दरअसल आज का समय इस बात का है कि देश में हो रहे विकास कार्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। डेवलपमेंटल जर्नलिज्म के प्रति बेरुखी का कोई कारण, कोई आधार समझ में नहीं आता है। देश में विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण विकास कार्य हो रहे हैं। इनका लाभ तभी देश के हर व्यक्ति तक पहुंच पाएगा जब इसकी जानकारी हर शख्स को होगी और यह कार्य मीडिया के अलावा और कोई नहीं कर सकता, चाहे वह माध्यम प्रिंट का हो अथवा इलेक्ट्रॉनिक का।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए विकास कार्यों से देश के हर नागरिक को अवगत करवाया जाना चाहिए और यह कार्य दायित्व मीडिया को ही संभालना चाहिए। सबको यह समझना होगा कि सरकार के असाधारण विकास कार्यों के जन-जन तक प्रचार को किसी सियासी दल के राजनीतिक प्रचार की श्रेणी में नहीं माना जाना चाहिए। ऐसा करने से देशवासियों के मन में भी यह आत्मविश्वास जागेगा कि भारत अब किसी भी तरह से दुनिया की किसी महाशक्ति से कम नहीं है। आज आवश्यकता इस बात की है कि विकासपरक पत्रकारिता के लिए कई स्तरों पर अनुकूल माहौल तैयार किया जाए। तुषार मेहता ने इस संबंध में सराहना करते हुए कहा कि ब्लिट्ज इंडिया समूह ने डेवलपमेंट जर्नलिज्म का बीड़ा उठा कर बहुत कठिन मार्ग पर चलने का निर्णय लिया है।
पत्रकारिता का काम सिर्फ सच को सामने लाना ही नहीं है। सत्य के कई चेहरे और कई रूप होते हैं। उसके सकारात्मक पहलू को उजागर करना भी उतना ही बड़ा दायित्व है ताकि इसका लाभ समाज तक भलीभांति पहुंच सके। देश में हो रहे असाधारण विकास कार्यों की झलक जी20 के शेरपा अमिताभ कांत ने भी दी। गत 8 वर्षों में भारत ने कई मोर्चों पर विकास व जनकल्याण के अनेक कीर्तिमान स्थापित किए। अमिताभ कांत ने इस पर अफसोस जताया कि मीडिया में उन उपलब्धियों को अपेक्षित स्थान या महत्व नहीं मिला जबकि ये सारे जनहितकारी कार्य थे। मीडिया का यह पहलू चिंताजनक है जबकि विभिन्न मुद्दों पर मीडिया अनावश्यक सनसनी फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ता। सरकार ने इन वर्षों में देश में तीन करोड़ से अधिक मकानों का निर्माण कराया। आस्ट्रेलिया की आबादी तीन करोड़ है। मतलब कि भारत ने आम जनता के लिए इतने मकान बनवा दिए हैं कि आस्ट्रेलिया के हर नागरिक को व्यक्तिगत रूप से एक मकान दिया जा सकता है पर इसका प्रचार-प्रसार मीडिया में नजर नहीं आया। इसीतरह जर्मनी की आबादी के बराबर हर घर को पानी के कनेक्शन दे दिए गए और ब्राजील के कुल टॉयलेट कनेक्शनों के बराबर से अधिक कनेक्शन देश में उपलब्ध कराए गए पर मीडिया ने इनको तवज्जो नहीं दी। इनके अतिरिक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल भुगतान, दूरसंचार, परिवहन और मेडिकल के क्षेत्र में भी देश ने नए-नए आयाम हासिल किए किंतु इनमें से कुछ को ही मीडिया ने समुचित स्थान दिया जबकि इन सारी उपलब्धियों को भरपूर कवरेज मीडिया में मिलनी चाहिए थी। इससे देश के अधिकतर नागरिकों को इनकी जानकारी मिलती और वे लाभान्वित हो सकते थे। अमिताभ कांत के अनुसार क्या ये उपलब्धियां मीडिया की सुर्खियों में नहीं आनी चाहिए थीं? लेकिन वास्तविकता है कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। इतना कुछ होने के बावजूद मीडिया द्वारा इन उपलब्धियों को आमजन तक पहुंचाने के लिए गंभीरता न दिखाए जाने को अमिताभ कांत ने बहुत दुखद बताया। इस संदर्भ में अमिताभ कांत ने कहा कि ब्लिट्ज इंडिया ने इस कमी को पूरा करने के लिए बेहद सार्थक, कारगर और संजीदा प्रयास किए हैं। इसके लिए इस समूह की जितनी प्रशंसा की जाए, कम है।