नई दिल्ली। 2030 तक कुत्ते के जरिए रेबीज से होने वाली मौतों पर विराम लगाने के लिए शोध और नवाचार-संचालित संगठन जाइडस ने ‘रेबीज पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस’ में पेटेंट रेबीज वैक्सीन और दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के कॉकटेल जैसे नए समाधान विकसित किए हैं। रेबीज पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली बीमारी है, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है। ‘इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ’ के अनुसार, देश में हर वर्ष जानवरों के काटने के तकरीबन 2 करोड़ मामले सामने आते हैं और 20,000 से अधिक लोगों को रेबीज से जान गंवानी पड़ती है।
– जानवरों के काटने की हर साल दो करोड़ घटनाएं, जागरूकता का घोर अभाव
ये होते हैं लक्षण
रेबीज से संक्रमित होने के बाद किसी व्यक्ति में छूने और सुनने की क्षमता प्रभावित होना, असामान्य व्यवहार, मतिभ्रम, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) और अनिद्रा (नींद में कठिनाई) जैसे गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं, जो उसे कोमा में ले जा सकते हैं और मौत का कारण बन सकते हैं। जाइडस संगठन ने रेबीज से जुड़े अपने जागरूकता अभियान ‘विराम’ (रेबीज पर पूर्ण विराम) का प्रचार करने के लिए एक टीवी प्रोग्राम का आयोजन किया, जिसमें प्रमुख स्वास्थ्य संगठनों के विशेषज्ञ शामिल हुए ।
विशेषज्ञों का पैनल
विशेषज्ञों के विशिष्ट पैनल में एसोसिएशन फॉर प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ रेबीज इन इंडिया के संस्थापक-अध्यक्ष और संरक्षक डॉ. एम के सुदर्शन, कंसोर्टियम अगेंस्ट रेबीज के फाउंडर सेक्रेटरी डॉ. अनुराग अग्रवाल, इंटरनेशनल पीडियाट्रिक एसोसिएशन कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. बकुल पारेख, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन के अध्यक्ष डॉ. हरिवंश चोपड़ा और बीयू बायोलोजिकल्स, जाइडस लाइफसाइंसेज के अध्यक्ष समीर देसाई शामिल थे।
उपायों पर चर्चा करते हुए डॉ. एम के सुदर्शन ने कहा,’ चिकित्सकों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कुत्ते के काटने के सभी पीड़ितों को रेबीज पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस मिले, जो कि घाव को ठीक करने के लिए सही है। यदि घाव से खून बह रहा है, तो रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन या मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के साथ टीके का कोर्स आवश्यक है । आम जनता को जानवर के काटने के बाद के उपचार के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। इसमें घाव को साबुन और पानी से धोना और एंटीसेप्टिक लगाना शामिल है। रेबीज संक्रमण को रोकने के लिए इम्यूनोग्लोबुलिन या मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के साथ टीकों का कोर्स प्राप्त करने के लिए निकटतम अस्पताल जाना चाहिए।
कैटेगरी-3
डॉ. अनुराग अग्रवाल ने कहा, ‘कोई जानवर काटता है और उसके बाद अगर घाव से खून या साफ पानी जैसा तरल निकलता है, तो यह केटेगरी 3 का एक्सपोजर है। घाव की गंभीरता को सुनिश्चित करने के लिए एक स्पिट स्वैब भी ले सकते हैं और इसे घाव वाली जगह रख सकते हैं। यदि इसमें जलन महसूस होती है, तो इसका मतलब है कि यह कैटेगरी 3 है।
नर्व एंडिंग में जाने से रोकें
एक बार पुष्टि हो जाने के बाद रेबीज वायरस को अपने नर्व एंडिंग में जाने से रोकने के लिए घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके बाद इम्यूनोग्लोबुलिन या मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज के साथ घाव का इलाज करा सकते हैं और टीके लगवा सकते हैं।