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नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने आज से यानी 1 दिसंबर से डिजिटल रुपी की शुरुआत कर दी है। बैंक ने पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर 1 दिसंबर को खुदरा डिजिटल रुपी शुरू करने की घोषणा की। जब से देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन का दौर शुरू हुआ है, तभी से लोगों की कैश रखने की आदत छूट गई है क्योंकि जब भी कहीं पेमेंट करनी होती है, तो लोग भीम यूपीआई, फोन पे, गूगल पे या पेटीएम का इस्तेमाल करते हैं लेकिन अब से आप डिजिटल रुपी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
आरबीआई ने 31 अक्टूबर को कहा था कि पायलट प्रोजेक्ट एक महीने के समय में शुरू होगा। पायलट प्रोजेक्ट में डिजिटल रुपी क्रिएशन, डिस्ट्रीब्यूशन और रिटेल यूज की पूरी प्रोसेस को बारीकी से परखा जाएगा। इस टेस्ट से मिली लर्निंग पर रिटेल डिजिटल रुपी में बदलाव होंगे। आरबीआई ने कहा कि पायलट प्रोजेक्ट में ग्राहकों और व्यापारियों का क्लोज्ड ग्रुप होगा जो चुनिंदा स्थानों को कवर करेगा। ई-रुपी का डिस्ट्रीब्यूशन बैंकों के माध्यम से किया जाएगा। यूजर इसे मोबाइल फोन और डिवाइसेज में डिजिटल वॉलेट में रख सकेंगे। डिजिटल वॉलेट के माध्यम से पर्सन-टु-पर्सन या पर्सन-टु-मर्चेंट ट्रांजेक्शन कर सकेंगे। मर्चेंट को क्यूआर कोड से भी पेमेंट किया जा सकेगा।
अन्य रूप में कनवर्ट हो सकेगा ई-रुपी
ई-रुपी को पैसों के अन्य रूप में कनवर्ट किया जा सकेगा। इस पायलट प्रोजेक्ट के लिए आठ बैंकों को चुना गया है, लेकिन पहले चरण की शुरुआत देश भर के चार शहरों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक से होगी। इसके बाद बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक सहित चार और बैंक इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल होंगे।
चार शहरों में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
पायलट प्रोजेक्ट शुरू में चार शहरों- मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर को कवर करेगा और धीरे-धीरे अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक विस्तारित होगा। अधिक बैंकों और अधिक शहरों को धीरे-धीरे शामिल किया जा सकता है।
दो तरह की डिजिटल करेंसी
डिजिटल करेंसी दो तरह की है- सीबीडीसी होलसेल और सीबीडीसी रिटेल। 1 नवंबर को रिजर्व बैंक ने होलसेल ई-रुपी का पायलट लॉन्च किया था। ये केवल बड़े वित्तीय संस्थान जिसमें बैंक, बड़ी नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां और दूसरे बड़े सौदे करने वाले संस्थानों के लिए हैं। इसके लिए एसबीआई, बीओबी, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक,आईसीआईसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी को चुना था।
मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी ई-रुपी की वैल्यू
ई-रुपी यानी डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी। इसको भी फिजिकल करेंसी की तरह ही एक्सेप्ट किया जाएगा। ई-रुपी से जेब में नगदी रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह भी मोबाइल वॉलेट की तरह काम करेगी। इसे रखने के लिए बैंक खाते की अनिवार्यता नहीं होगी। इससे कैशलेस पेमेंट कर सकेंगे।
अनजान व्यक्ति को जानकारी शेयर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। निजता बरकरार रहेगी। सबसे पहले नगदी पर निर्भरता घटेगी। फिजिकल रुपए को छापने की लागत घटेगी। नगद अर्थव्यवस्था घटाने का लक्ष्य पाने में मदद मिलेगी। लेनदेन की लागत घटाने में भी मदद मिलेगी।
– डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में होगा मददगार
– जेब में कैश रखने की नहीं पड़ेगी जरूरत
– मोबाइल वॉलेट की तरह ही पेमेंट करने की मिलेगी सुविधा
– डिजिटल रुपये को बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट कर सकेंगे
– विदेशों में पैसे भेजने की लागत में आएगी कमी
– मौजूदा करेंसी के बराबर होगी ई-रूपी की वैल्यू