भारत ने इंडोनेशिया के बाली में 16 नवंबर को संपन्न हुए जी20 के समिट में जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण कर ली। मेजबान इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अगले वर्ष के लिए ये अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी। ज्ञात हो कि कुछ ही दिन पहले पीएम मोदी ने जी20 का लोगो, थीम व उसकी वेबसाइट का लोकार्पण किया था। उन्होंने इस अवसर पर कहा था कि भारत जी20 की अध्यक्षता करने जा रहा है और यह आयोजन हमारे लिए 130 करोड़ भारतीयों की शक्ति और सामर्थ्य का प्रतिनिधित्व तथा भारतीयों के लिए गर्व की बात है। बाली में संपन्न हुआ समिट भारत के लिए उपलब्धियों से भरा रहा। यूं भी कहा जा सकता है कि जी20 समिट में भारत का डंका बजता रहा। यह जहां देश के लिए तो गर्व की बात है ही, वहीं यह पीएम मोदी के सफल नेतृत्व का भी परिणाम है कि आज नया भारत विश्व के पटल पर एक नई आत्मनिर्भर छवि के साथ उभर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस जी20 शिखर सम्मेलन में पूरे समय छाए रहे। यह उनके नेतृत्व और व्यक्तित्व का ही कमाल है कि उज़्बेकिस्तान के समरकंद में हुए शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा रूसी राष्ट्रपति पुतिन को कही गई यह बात कि ‘आज का युग युद्ध का नहीं है’ को इतनी अहमियत दी जा रही कि इसे सूत्र वाक्य के रूप में जी20 अपने मसौदे में शामिल करने जा रहा है। इसका सीधा तात्पर्य यही है कि विश्व आज शांति और विकास के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है और यह कहा जा सकता है कि पीएम मोदी राष्ट्र निर्माता से विश्व निर्माता के सफर की तरफ बढ़ चुके हैं।
जी20 ऐसे देशों का समूह है जो आज अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे समूह की अध्यक्षता मिलना हर भारतवासी के लिए गर्व का विषय होना चाहिए। बाली में संपन्न हुए सम्मेलन में भारत के लिए बहुत कुछ उत्साहवर्धक रहा। भारत जहां जी20 का अध्यक्ष बना वहीं ब्रिटेन ने लगे हाथ ऐलान कर दिया कि वह 3 हजार भारतीयों को नए वीजा जारी करेगा। एक अन्य खास बात यह भी रही कि जर्मनी, फ्रांस, जापान, सऊदी अरब और ब्रिटेन अब भारत से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करने के लिए उतावले नजर आए। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भी पीएम मोदी व भारत को सबसे ज्यादा अहमियत दी। इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत को जी-20 की प्रेसिडेंसी मिलने का साफ मतलब है कि विश्व मंच पर आज भारत की बात सुनी जा रही है। इस बात पर अगर गौर करें तो हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।
भारत में जी20 शिखर सम्मेलन सिर्फ एक कूटनीतिक बैठक ही नहीं होगी बल्कि देश और हर भारतवासी को इसे एक ‘नई जिम्मेदारी’ के तौर पर देखना चाहिए और भारत को भी इसे अपने प्रति दुनिया के विश्वास के रूप में देखना होगा। आज विश्व में भारत को जानने की, भारत को समझने की एक अभूतपूर्व जिज्ञासा है। आज दुनिया में भारत का नए आलोक में अध्ययन किया जा रहा है। वस्तुत: जी20 का लोगो भारत के राष्ट्रीय ध्वज के जीवंत रंगों से प्रेरित है- केसरिया, सफेद, हरा, और नीला। इसमें कमल का फूल भी शामिल है। भारत ने जी-20 की अध्यक्षता की विषयवस्तु अपने शाश्वत मंत्र – “वसुधैव कुटुम्बकम” या यों कह लें कि “एक धरती, एक परिवार, एक भविष्य”- महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से ली है। यह विषय जीवन के सभी मूल्यों- मानव, पशु, पौधे और सूक्ष्मजीव तथा धरती पर और व्यापक ब्रह्मांड में उनके परस्पर संबंध की पुष्टि करता है। यह विषयवस्तु व्यक्तिगत जीवन शैली के साथ-साथ राष्ट्रीय विकास के स्तर पर, अपने संबद्ध, पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और जिम्मेदार विकल्पों के साथ ‘लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) पर भी प्रकाश डालती है। अत: इससे हमारी जिम्मेदारी का स्तर और भी बढ़ जाता है और हमें दुनिया को दिखा देना होगा कि नया आत्मनिर्भर भारत अब विश्व का नेतृत्व करने के लिए भी तैयार है।