ब्लिट्ज ब्यूरो.
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब प्रयागराज, आगरा और गाजियाबाद में भी पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी। 13 जनवरी 2020 को यूपी में सबसे पहले लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। कैबिनेट बैठक में कुल डेढ़ दर्जन प्रस्ताव पारित हुए।
अहम बिंदु
बता दें कि यूपी के चार जिलों- लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा में पहले से ही पुलिस कमिश्नरेट की व्यवस्था लागू है। अब 7 जिलों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होगी।
इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रयागराज आगरा और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर प्रणाली के फैसले के बाद अब अपराधियों के लिए खौफ का समय आ गया है और आम जनता के लिए सुरक्षा कानून व्यवस्था में सुधार का वक्त आ गया है। इन तीनों शहरों में इसके बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जब सीनियर अफसर जिले का संचालन करते हैं तो निश्चित तौर से उसका असर होता है। जहां-जहां पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई वहां पर कानून व्यवस्था में जबरदस्त सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अपराधियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई हो पाई है।
क्या होती है पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था
ज्यादा आबादी वाले जिलों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इस व्यवस्था को लागू किया जाता है। इन जिलों में पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति की जाती है। पुलिस कमिश्नर को अतिरिक्त जिम्मेदारियों के साथ कुछ मजिस्टि्रयल पॉवर भी दी जाती हैं। देश के कई राज्यों के अलावा दुनिया के कई देशों में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था को कानून-व्यवस्था बनाए रखने का सबसे प्रभावी माध्यम माना गया है। वर्ष 1983 में जारी छठी नेशनल पुलिस कमीशन की रिपोर्ट में भी 10 लाख से ज्यादा की आबादी वाले महानगरों के लिए इस व्यवस्था को जरूरी बताया गया था। इस व्यवस्था के अंतर्गत पुलिस और कानून व्यवस्था की सारी शक्तियां पुलिस कमिश्नर में निहित होती हैं।
पुलिस कमिश्नर ही एकीकृत पुलिस कमान का प्रमुख होता है। पुलिस कमिश्नर अपने क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने और अपने फैसलों के लिए राज्य सरकार के प्रति उत्तरदायी होता है। इस व्यवस्था में सीआरपीसी के कुछ मामलों में अंतिम फैसला लेने का अधिकार पुलिस कमिश्नर को दिया जाता है।