ब्लिट्ज ब्यूरो

लखनऊ। शहर के निराला नगर में एक मठ कई एकड़ में फैला हुआ है। इसकी खूबसूरती भी देखते ही बनती है। हर तरफ हरियाली में लिपटे इस मठ को जब आप देखेंगे तो आपको शांति का एहसास होगा। मठ में प्रवेश निःशुल्क है। सुबह पांच बजे मठ खुलता है और दोपहर 12 बजे बंद होता है। शाम चार बजे इस फिर खोल दिया जाता है। मठ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां पर स्वामी विवेकानंद की पूजा-अर्चना की जाती है। मां शारदा और स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भी प्रतिमाएं भी यहां स्थापित की गई हैं। ये तीनों प्रतिमाएं एक साथ स्थापित की गई थीं और भक्त अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने के लिए शीश नवाते हैं।
श्री रामकृष्ण मठ स्वामी रामकृष्ण परमहंस के नाम पर स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित किया गया था। इस मठ पर लोगों का अटूट विश्वास है। यह मठ अध्यात्म और सेवा का केंद्र है जहां पूजा के साथ ध्यान भी लगाया जाता है। मठ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानंद के अनुसार श्री रामकृष्ण मठ या यूं कहें संघ की स्थापना 1 मई 1897 को कोलकाता में हुई थी। श्री रामकृष्ण परमहंस का देहांत 1886 में हुआ था और इसी के 11 सालों के बाद उनके प्रिय शिष्य स्वामी विवेकानंद ने इस मठ को स्थापित किया था। इस वर्ष उनकी 125वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इस मठ के देश में 200 केंद्र और पूरे विश्व में 50 केंद्र हैं। स्वामी मुक्तिनाथानंद बताते हैं कि स्वामी विवेकानंद का मानना था कि ईश्वर को सिर्फ आंखें बंद करके न देखें, बल्कि आंखें खोल करके भी देखें। यानी ईश्वर के साथ ही प्राणियों की भी सेवा करें, क्योंकि नर सेवा ही नारायण सेवा मानी जाती है।
उन्होंने बताया कि इस मठ में किसी से कोई भेदभाव नहीं होता है और सभी जाति के लोग यहां आ सकते हैं। उन्होंने बताया कि हम इन्हें भगवान का ही अवतार मानते हैं। इस मठ में एक निःशुल्क लाइब्रेरी है जिसमें लोग स्वामी विवेकानंद के विचारों के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। स्वामी मुक्तिनाथनंद ने बताया कि आज वर्तमान में जो लोग आपस में लड़ रहे हैं, वह पूरी तरह से गलत कर रहे हैं क्योंकि स्वामी विवेकानंद कहते थे कि दूसरों में कमियां देखने से पहले खुद के अंदर की कमियों को देखें, जब खुद की कमियां देखेंगे तब आपको आपकी कमियां नजर आएंगी।