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भारत ने बनाया पूरी दुनिया को अपना कायल

by Blitzindiamedia
January 5, 2024
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भारत ने बनाया पूरी दुनिया को अपना कायल

deepakइस समय भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं में एक है। 2047 तक उच्च मध्य आय के स्तर तक पहुंचने की आकांक्षा के साथ इस पथ पर आगे बढ़ने के एवं आत्मनिर्भर विकसित भारत बनने के लिए यह तैयार है। भारत यह भी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि विकास का इसका जारी क्रम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से भी निपटने के लिए तैयार रहे और 2047 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का अपना लक्ष्य हासिल करने के अनुरूप प्रयासरत भी रह सके। इसी मकसद को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश ही नहीं, पूरी दुनिया को ‘लाइफ’ मूवमेंट की अवधारणा दी और उसका महत्व भी निरूपित किया ताकि ऐसी जीवन शैली अपनाई जा सके जो पर्यावरण के संरक्षण में मददगार सिद्ध हो सके।

इसे जी20 की बैठकों में भी दृढ़ता के साथ प्रतिपादित किया गया। हम यह उम्मीद करते हैं कि पीएम मोदी द्वारा परिकल्पित, मिशन लाइफ भारत के नेतृत्व वाला एक ऐसा वैश्विक जन आंदोलन बनेगा जो पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्रवाई को बढ़ावा देगा एवं देश तथा दुनिया के सही विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा।

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देश की कूटनीतिक सफलता के साथ ही आर्थिक सफलता के परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत आज किसी भी विकसित देश से कम नहीं है और यही पीएम मोदी के इन बीते नौ सालों का सार नजर आता है।

2023 में ही ऑस्कर अवार्ड जीतने वाली फिल्म ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स के माध्यम से भी दुनिया ने भारत की क्रिएटिविटी को देखा और पर्यावरण के साथ हमारे जुड़ाव को भी समझा। इस फिल्म की कहानी दक्षिण भारत के रहने वाले एक कपल के बारे में बताती है कि कैसे उन्होंने रघु नाम के एक अनाथ छोटे हाथी की देखभाल की। इस फिल्म के जरिए इंसान और जानवरों के बीच के बॉन्ड को दर्शाया गया है। दरअसल विकास के साथ-साथ पर्यावरण का क्षरण भी आज एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। वस्तुत: दुनिया में कहीं भी विकास अगर पर्यावरण के अनुकूल नहीं होगा तो वह दीर्घकालिक और फलदायी नहीं होगा।

भारत के विकास की गति की अगर हम बात करें तो पिछले दो दशक के विकास के परिणामस्वरूप भारत ने अत्यधिक गरीबी को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2011 और 2019 के बीच, देश में अत्यधिक गरीबी में रहने वाली आबादी का हिस्सा घटकर आधा – प्रति व्यक्ति प्रति दिन 2.15 डॉलर (2017 पीपीपी) से नीचे (विश्व बैंक गरीबी और असमानता पोर्टल और मैक्रो गरीबी आउटलुक, स्प्रिंग 2023) – रह गया है। हालांकि, हाल के वर्षों में, गरीबी में कमी की गति, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान धीमी हुई लेकिन 2021-22 से यह मध्यम स्तर पर आ गई है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि विकास के क्रम में कुछ चुनौतियां भी अवश्य बनी रहती हैं जिनमें पिछले दो दशकों में लगभग 35 के स्तर के गिनी सूचकांक के साथ उपभोग में असमानता में और सुधार लाने की जरूरत है। बाल कुपोषण के स्तर को भी सुधारने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं और स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील के जरिए स्वस्थ बनाने के प्रयासों के बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। प्रमुख रोजगार संकेतकों में 2020 के बाद से सुधार हुआ है। नौकरियों की गुणवत्ता और वेतन में वास्तविक वृद्धि के साथ-साथ श्रमबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने को लेकर ठोस कदम भी उठाए जा रहे हैं। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए मोदी सरकार महिला वंदन अधिनियम भी लेकर आई है।

वर्ष 2047 तक उच्च आय दर्जा हासिल करने की भारत की आकांक्षा को जलवायु-लचीली विकास प्रक्रिया के जरिए साकार करने की आवश्यकता पर बल दिया जा रहा है ताकि आबादी के निचले आधे हिस्से को व्यापक लाभ प्रदान किया जा सके। इसके लिए विकास को प्रोत्साहित करने वाले सुधारों के साथ-साथ अच्छी नौकरियों में विस्तार की व्यवस्था करने की भी आवश्यकता है जो श्रम बाजार में प्रवेश करने वालों की संख्या के साथ तालमेल बनाए रखे। साथ ही, अधिक महिलाओं को कार्यबल में लाकर आर्थिक भागीदारी में अंतर से निपटने की आवश्यकता है।

वैसे मोदी के शासनकाल के दौरान आर्थिक विकास मनमोहन सिंह के वर्षों की तुलना में तेज रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था का सफर केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद कैसा रहा है, इसको लेकर अक्सर सवाल और वाद-विवाद होते रहे हैं। हालांकि साल 2014 से 2023 तक देश की अर्थव्यवस्था को लेकर वैश्विक आर्थिक संस्थानों के आंकड़े और अनुमान देखे जाएं तो भारत की स्थिति साल 2014 के मुकाबले काफी अच्छी दिखाई देती है।

कोविड संकटकाल के बाद भारत की इकोनॉमी ने दम दिखाया। साल 2014 से मौजूदा साल 2023 तक का देश का आर्थिक सफर ऐसा रहा है जिसे रोलर कोस्टर राइड कहा जा सकता है। कोविड के संकटकाल से जूझती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच में भारत की अर्थव्यवस्था की हालत भी खासी डगमगाई। हालांकि आज कोविड के संकटकाल से बाहर आकर भारतीय इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुकी है और ये वास्तव में बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

आज देश में हवाई अड्डों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वंदे भारत जैसी ट्रेनों की तेजी से बढ़ती संख्या और उनकी रफ्तार देश के विकास की गति से मेल खा रही है। चिकित्सा क्षेत्र की बात करें तो अनेक नए एम्स और अस्पताल खुले हैं। तमाम नए विश्वविद्यालयों से शिक्षा की तस्वीर बदल रही है और विज्ञान से लेकर उद्योग, अंतरिक्ष एवं प्रौद्योगिकी; हर क्षेत्र में भारत अपना परचम लहरा रहा है।

तथ्यों को देखें तो हमें ये मानना होगा कि देश ने आर्थिक मोर्चे पर काफी शानदार मुकाम हासिल किया है और ग्लोबल चुनौतीपूर्ण माहौल में भी यहां आर्थिक विकास का चक्क ा थमा नहीं है। देश के लोगों के पास खाद्य सुरक्षा के अधिकार के तहत खाने-पीने के सामान की व्यवस्था है। भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी की कायल पूरी दुनिया हुई जब भारत ने कई देशों को कोविड महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन भिजवाई और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को चरितार्थ किया। देश की कूटनीतिक सफलता के साथ ही आर्थिक सफलता के परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत आज किसी भी विकसित देश से कम नहीं है और यही पीएम मोदी के इन बीते नौ सालों का सार नजर आता है।

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