ब्लिट्ज ब्यूरो
बेंगलुरु। लंबे समय तक हथियारों का प्रमुख आयातक देश रहा भारत अब तेजी से रक्षा क्षेत्र में निर्यातक के रूप में उभर रहा है। देश की सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के पास 84 हजार करोड़ रुपये के ऑर्डर हैं। वहीं, 50 हजार करोड़ के अन्य ऑर्डर पाइपलाइन में हैं।
एचएएल के अध्यक्ष व महानिदेशक सीबी अनंतकृष्णन ने बंगलुरू में जारी एयरो इंडिया 2023 में ये आंकड़े पेश किए। साथ ही बताया कि एचएएल के स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को खरीदने में भी कई देशों ने रुचि दिखाई है और बातचीत चल रही है।
मोदी के विजन का असर
अनंतकृष्णन ने कहा, एचएएल अब तक हुए खरीद अनुबंधों और पाइपलाइन में मौजूद ऑर्डर, दोनों के लिहाज से अच्छी स्थिति में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन से एचएएल को काफी फायदा हुआ। सैन्य विमानों के वैश्विक बाजार में एचएएल ने काफी रुचि जगाई है और जल्द ही बड़े ऑर्डर नजर आएंगे। एचएएल के डायरेक्टर (ऑपरेशंस) जयदेव ईपी ने बताया, कंपनी का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में निर्यात 2.5 लाख करोड़ तक पहुंचे।
निर्यात लक्ष्य बढ़ाया
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अगले दो वर्ष में रक्षा निर्यात तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। तेजस के निर्यात के लिए भी सरकार कूटनीतिक प्रयास कर रही है।
चार देशों को बेचेगा तेजस
अनंतकृष्णन ने कहा कि अर्जेंटीना ने 15 और मिस्र ने 20 तेजस विमान खरीदने में रुचि दिखाई है। बोत्सवाना और मलेशिया से भी तेजस की खरीद को लेकर बात हो रही है। उन्होंने कहा कि जल्द हम इन देशों को भारत में निर्मित विमान देंगे। भारत जल्द ही रक्षा क्षेत्र के निर्यात में भी सबसे आगे होगा। उन्होंने बताया कि एचएएल अपने हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर बेचने के लिए फिलीपींस के साथ भी बातचीत कर रही है।
सेना को मिले 83 तेजस
2021 में भारत सरकार ने एचएएल से 83 तेजस विमानों की खरीद के लिए 600 करोड़ डॉलर का अनुबंध किया था। इनकी डिलीवरी 2023 से शुरू होगी। तेजस का निर्माण डिजाइन के स्तर पर 1983 में शुरू हुआ था।
एचएएल की योजना है कि आने वाले समय में इसमें जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी का बनाया 414 इंजन का उपयोग किया जाए। यह दूसरी पीढ़ी का तेजस ज्यादा क्षमतावान होगा। 414 इंजन भारत में बनाने पर भी बातचीत हो रही है।
जीई मरीन के साथ एमओयू
एचएएल ने जीई मरीन कंपनी के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत एलएम500 मरीन गैस टर्बाइन की असेंबली, निरीक्षण व परीक्षण (एआईटी) के लिए एचएएल की विनिर्माण क्षमता के विस्तार की संभावना देखी जाएगी। एमओयू पर जारी बयान के अनुसार, एचएएल का आईएमजीटी मंडल साल 1986 से जीई के एलएम2500 मरीन गैस टर्बाइन को एआईटी प्रदान कर रहा है। यह टर्बाइन भारतीय नौसेना के पी-17, पी-17ए और आईएसी-1 जलपोतों में उपयोग हो रही है।
22 टर्बाइन तैयार
अब तक एचएएल ने 11 भारतीय जलपोतों के लिए ऐसी 22 टर्बाइन तैयार की हैं। एमओयू में इस टर्बाइन के स्वदेशी 4 मेगावाट गैस टर्बाइन जनरेट में उपयोग के लिए एचएएल को एआईटी की अनुमति दी जाएगी। यह टर्बाइन जनरेटर भारत के भावी जलपोतों में लगाए जाएंगे। 3 फरवरी, 2021 को इसे पहली बार एयरो इंडिया में भेजा गया था।

अमेरिकी ‘बी-1बी लांसर’ का जलवा
भारत और अमेरिका के बीच गहरे सामरिक संबंधों को प्रदर्शित करते हुए अमेरिकी वायुसेना के दो ‘बी-1बी लांसर’ बमवर्षक विमान यहां येलहांका वायुसेना अड्डे पर एयरो शो में शामिल हुए। बी-1बी लांसर अमेरिका स्थित अपने अड्डों और अग्रिम मोर्चों से विश्वभर में मिशन को अंजाम देने में सक्षम है।