भारतीय अर्थव्यवस्था अभी दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। दुनिया की तमाम एजेंसियां भी भारत को लेकर बेहद सकारात्मक नजरिया अपना रही हैं। इस वक्त भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत में इतनी संभावना है कि जल्द ही वो दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है। वित्तीय सेवाओं की दक्षता बढ़ाने के विषय पर बजट से जुड़े एक वेबिनार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में चमकता हुआ सितारा कहा जा रहा है। प्रधानमंत्री का मानना है कि वैश्विक समुदाय में भारत को लेकर जो नजरिया बदला है, उसके पीछे की वजह ये है कि आज का नया भारत, अब नए सामर्थ्य के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत की ताकत का अंदाजा इसी से लगता है कि वैश्विक महामारी कोरोना को झेलने के बावजूद भारत की राजकोषीय और मौद्रिक नीति का प्रभाव पूरा विश्व देख रहा है।
2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य
हम सब ये जानते हैं कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार के स्तर पर लगातार कदम भी उठाए जा रहे हैं। सरकार पूंजीगत व्यय यानि कैपिटल एक्सपेंडिचर को भी बढ़ा रही है। इसका साफ मतलब है कि बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकारी निवेश को बढ़ाया जा रहा है। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में निजी सेक्टर की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण है, इसमें कोई दो राय नहीं। पीएम मोदी ने इस पहलू को स्वीकार करते हुए प्राइवेट सेक्टर से गुजारिश की है कि वे भी सरकार के समान अपनी ओर से निवेश बढ़ाएं।
– निजी निवेश बढ़े, 10 साल में 10वें से 5वें स्थान पर आई अर्थव्यवस्था
– अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का समय
पूंजीगत व्यय में खासा इजाफा
2023-24 के केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय में भारी बढ़ोतरी की गई है। इसके लिए 10 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। पूंजीगत व्यय में 37.4 फीसदी का इजाफा किया गया है। इसका सीधा तात्पर्य यही है कि निवेश और रोजगार को बढ़ावा दिया जाए। 2019-20 की तुलना में इस बार का कैपेक्स करीब तीन गुना है। इसके जरिए सड़क, रेल, रक्षा जैसे सेक्टरों को और मजबूती हासिल होगी। सरकार अगले 25 साल में ‘4 आई’ पर फोकस कर रही है। ये हैं इन्फ्रास्ट्रक्चर, इनवेस्टमेंट, इनोवेशन और इनक्लूजन। इसी नजरिए से पूंजीगत व्यय में इस बार के बजट में इतनी वृद्धि की गई है और अर्थव्यवस्था की मजबूती और विकास को रफ्तार देने के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश का लक्ष्य रखा गया है। 2021-22 में अब तक का सबसे ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) देश को प्राप्त हुआ है। इस निवेश का बड़ा हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में लगा है और भारत ग्लोबल सप्लाई चेन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता जा रहा है। भारत के पास वर्तमान में एक मजबूत फाइनेंशियल सिस्टम है। इसलिए जरूरी है कि वित्तीय क्षेत्र से जुड़े लोगों और बैंकों को चाहिए कि वे आगे बढ़कर छोटे और मंझोले उद्योगों को वित्तीय समर्थन दें। कोविड महामारी के दौरान 1 करोड़ 20 लाख एमएसएमई को सरकार से बहुत बड़ी मदद मिली थी। नए बजट में भी इस सेक्टर को दो लाख करोड़ रुपये का एडिशनल कोलेटरल फ्री गारंटीड क्रेडिट देने का प्रावधान किया गया है।
स्वरोजगार के लिए जल्द मिले कर्ज
मोदी सरकार ने यह भी अपील की है कि फाइनेंशियल सिस्टम से जुड़े सभी स्टेक होल्डर्स को कॉस्ट ऑफ क्रेडिट के साथ ही कर्ज देने में लगने वाले वक्त को भी घटाया जाए। इसके लिए तकनीक के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर भी ज़ोर दिया गया है। ऐसा होने पर ही देश के बढ़ते बैंकिंग सामर्थ्य का ज्यादा से ज्यादा लाभ गरीबों तक पहुंच पाएगा। पीएम मोदी ने स्वरोजगार के जरिए अपनी गरीबी दूर करने का तेजी से प्रयास कर रहे लोगों तक बैंक का कर्ज पहुंचाने पर भी बल दिया है। इसके अतिरिक्त वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भरता मिशन विकसित राष्ट्र के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री का कहना है कि इस मिशन के तहत हमें उन क्षेत्रों की पहचान करनी होगी, जिनमें देश में घरेलू क्षमता बढ़ाकर देश का पैसा बाहर जाने से बचाया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने उच्च शिक्षा का उदाहरण दिया, जिस पर हर साल देश का हजारों करोड़ रुपये बाहर जाता है। एजुकेशन सेक्टर पर निवेश बढ़ाकर इस राशि को बाहर जाने से रोका जा सकता है। इसी तर्ज पर पीएम मोदी ने देश को खाद्य तेल के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत बताई।
टैक्स आधार बढ़ाने पर बल
उद्योग जगत और वित्तीय क्षेत्रों से जुड़े लोगों से टैक्स बेस की बढ़ोतरी को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी लगातार काम करने के लिए कहा जा रहा है। जीएसटी, इनकम टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स होने की वजह से देश के नागरिकों पर टैक्स का बोझ लगातार कम होता जा रहा है। इसके बावजूद भी टैक्स से हासिल होने वाले राजस्व में तेजी से इजाफा हो रहा है। 2013-14 के दौरान ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू करीब 11 लाख करोड़ रुपये था जो 2023-24 के बजट अनुमानों में बढ़कर 33 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। ये 200 फीसद से भी ज्यादा का इजाफा है। इसका मतलब है कि टैक्स का रेट कम होने के बावजूद टैक्स का कलेक्शन लगातार बढ़ा है। इसके पीछे का कारण टैक्स बेस का बढ़ना ही है। 2013-14 में व्यक्तिगत टैक्स रिटर्न करीब साढ़े तीन करोड़ फाइल होते थे, जो 2020-21 में बढ़कर साढ़े छह करोड़ हो गए।
वित्तीय संस्थानों के बीच साझेदारी बढ़ाने की बात
आने वाले दिनों में फाइनेंशियल सिस्टम को और मजबूत कर भारत दुनिया के सबसे ताकतवर आर्थिक ताकतों में से एक बन सकता है। इसके लिए भारत के पास टैलेंट भी है और बुनियादा ढांचों का मजबूत स्तंभ भी है। साथ ही नए-नए आइडिया लेकर आने वाले इनोवेटर्स की भी कमी नहीं है। डिजिटल के क्षेत्र में असीम संभावनाएं भारत की एक बड़ी ताकत बन चुके हैं। डिजिटल करेंसी में भी भारत तेजी से आगे बढ़ा है और बढ़ रहा है। आजादी के 75वें वर्ष में यानी 2022 में डिजिटल तरीके से 75 हजार करोड़ ट्रांजेक्शन हुए। यूपीआई का देश में कितना विस्तार हुआ है, ये आंकड़ा बताने के लिए काफी है। रूपे और यूपीआई दुनिया में भारत की पहचान बन चुके हैं। रूपे और यूपीआई सस्ती और बेहद सुरक्षित प्रौद्योगिकी है। प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि देश के जो भी वित्तीय संस्थान हैं, वे फिनटेक की पहुंच को बढ़ाने के लिए यूपीआई के साथ ज्यादा से ज्यादा साझेदारी करें। वे भारत के आर्थिक विकास के फायदों को हर वर्ग और हर व्यक्ति तक पहुंचाने पर भी ज़ोर देते हैं।
तेजी से बढ़ रहा है अर्थव्यवस्था का आकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन बातों से जाहिर है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में निजी निवेश और बैंकिंग सेक्टर की भूमिका बहुत बड़ी होने वाली है। धीरे-धीरे भारत की अर्थव्यवस्था ने वो मुकाम हासिल कर लिया है, जिसके बारे में 10 साल पहले सोचा भी नहीं जा सकता था। 2014 में वैश्विक जीडीपी में भारत का योगदान 2.6 फीसद था जो आज बढ़कर 3.5 फीसद हो गया है। भारत का जीडीपी का आकार 3.5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया है जो 2014 में 2.04 ट्रिलियन डॉलर हुआ करता था।
विकास की रफ्तार ऐसे ही रहने पर हम 2026 में जर्मनी को पीछे छोड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकते हैं। 2026 तक भारत की अर्थव्यवस्था के 5 ट्रिलियन डॉलर के पार जाने की उम्मीद भी की जा रही है। आर्थिक ताकत के मामले में 2032 तक जापान को भी पीछे छोड़ने की स्थिति में आ सकते हैं। लेकिन हमें यह बात ध्यान रखनी होगी कि आने वाले वक्त में युवाओं को कुशल बनाकर ही भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाएगा। इसके साथ ही ढांचागत और विकास परियोजनाओं के जरिए मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देकर रोजगार के ज्यादा से ज्यादा मौके भी हमें सृजित करने होंगे और अपनी आजादी के बाद से अब तक जिन क्षेत्रों को नजरअंदाज किया गया, उन क्षेत्रों पर अधिक से अधिक ध्यान देना होगा।