भारतीय प्रवासियों की अगर बात करें तो उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार अभी तक लगभग 30 मिलियन यानी कि 3 करोड़ के आसपास भारतीय भारत से बाहर अन्य देशों में रह रहे हैं। प्रवासी भारतीयों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा है और ये ‘सबसे ज्यादा विविधता और जीवंतता’ वाले समुदायों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक वर्ष 2020 में करीब 1.8 करोड़ भारतीय अपने देश से दूर दुनिया के अलग-अलग देशों में रह रहे हैं और इस मामले में यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी समूह है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ही सबसे ज्यादा संख्या में प्रवासी भारतीय संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका और सऊदी अरब में रहते हैं। गत 10 वर्षों में भारतीय प्रवासियों की संख्या में लगभग 23 फीसदी की वृद्धि हुई है। प्रवासियों की कुल संख्या वर्तमान आबादी का 3.5 फीसदी के आसपास अथवा इससे अधिक हो सकती है। दुनिया की बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में मुख्य कार्यकारी अधिकारी से लेकर अनेक देशों के कानून और अर्थव्यवस्था में निर्णय लेने वाली संस्थाओं का प्रमुख हिस्सा बनने में भारतीय कामयाब रहे हैं और अब तो कभी भारत पर राज करने वाले ब्रिटेन का भाग्यविधाता भी इस समय एक भारतवंशी ही है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत के जी20 का नया अध्यक्ष बनने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरने से भारतवंशी और प्रवासियों से भारत के विकास में अभूतपूर्व योगदान की उम्मीदें बढ़ गई हैं और उनका भी प्रभाव उन देशों में निश्चित रूप से बढ़ा है, जहां के वे अब निवासी बन चुके हैं। गत 15 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडोनेशिया में बाली के निकट सुनूर में प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था कि 2014 के पहले और 2014 के बाद के भारत में बहुत बड़ा फर्क है और देश अब अभूतपूर्व पैमाने और गति से आगे बढ़ रहा है। मोदी ने प्रवासी भारतीयों को कहा कि 21वीं सदी में भारत दुनिया के लिए आशा की एक किरण है। आत्मनिर्भर भारत दुनिया की भलाई का प्रतीक है और ‘वसुधैव कुटुंबकम ्’ के धर्म सूत्र का पालक भी है। पीएम मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया था कि अब भारतवंशियों और प्रवासी भारतीयों की बढ़ती अहमियत भारत की एक और बढ़ी शक्ति के रूप में उभरी है। मोदी ने प्रवासियों को जनवरी 2023 में देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में होने वाले प्रवासी सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण भी दिया था।
ज्ञातव्य है कि गत 2 अक्तूबर को गांधी जयंती के अवसर पर वाशिंगटन में अमेरिका के भारतीय मूल के लोगों और प्रवासी भारतीयों से सम्बद्ध अन्य सभी देशों के प्रवासियों के गैर-लाभकारी संस्थाओं के एक संयुक्त संगठन इंडिया फिलांथ्रोपी अलायंस (आईपीए) के तत्वावधान में भारत के विकास और मानव विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिकाधिक आर्थिक मदद दिए जाने का निर्णय विभिन्न देशों के प्रवासी भारतीयों के लिए भी प्रेरणादायी बना है। आईपीए ने 2 मार्च 2023 को ‘इंडिया गिविंग डे’ मनाने का भी निश्चय किया। आईपीए अभी तक भारत को मदद के लिए सालाना करीब एक अरब डॉलर जुटाता है। इस मदद को उसने अगले साल बढ़ाकर 3 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है। आईपीए का मानना है कि भारत ने अपनी आजादी के 75 साल का संतोषजनक सफर तय किया है। पीएम मोदी द्वारा भारत के बढ़ाए गए गौरव और प्रवासी भारतीयों के लिए किए गए विशेष प्रयासों से भारतवंशियों तथा प्रवासियों का भारत के लिए सहयोग लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में अब भारत के तेज विकास और अपने भारतीय समुदाय के करोड़ों जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आईपीए खुले हाथों मदद के लिए आगे बढ़ रहा है। जिस तरह से ब्रिटेन के भारतवंशी प्रधानमंत्री ऋषि सुनक तथा दुनिया में उच्च स्थानों पर विराजमान भारतवंशी राजनेताओं और प्रवासी भारतीय उद्यमियों ने भारत के साथ सहयोग के सूत्र आगे बढ़ाए हैं, उससे भी प्रवासी भारतीयों द्वारा स्वदेश की ओर धन संप्रेषण, स्नेह व मैत्री में लगातार बढ़ोतरी हुई है। ऐसे राजनेताओं में अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, मॉरीशस में प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ, पुर्तगाल में प्रधानमंत्री एंटोनिया कोस्टा, सिंगापुर में राष्ट्रपति हलीमा याकूब, सूरीनाम में राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी, गुयाना में राष्ट्रपति इरफान अली, आदि भारत के विकास में और चार चांद लगा सकते हैं। इनके अतिरिक्त मॉरीशस में अनिरुद्ध जगन्नाथ, नवीनचंद्र राम गुलाम, गुयाना में भरत जगदेव के अलावा दक्षिण अफ्रीका, सिंगापुर, न्यूजीलैंड, त्रिनिडाड एवं टोबैगो तथा कुराकाओ में अनेक हस्तियां ऐसी हैं जो देश के विकास को चरम गति प्रदान कर सकती हैं। इसी तरह आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त आदि के क्षेत्र में भी दुनिया में शीर्ष पर बैठे प्रवासी भारतीय, भारत के साथ सहयोग सूत्र को और मजबूत बनाने में अपना योगदान बढ़ा सकते हैं। अब जनवरी, 2023 में इंदौर में आयोजित होने वाले 17वें प्रवासी भारतीय दिवस पर प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत के विकास में योगदान हेतु विशेष रणनीतिक पहल किए जाने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। अब भारत सरकार प्रवासी भारतीयों के लिए ‘अधिकतम सुविधा’ और ‘न्यूनतम असुविधा‘ सुनिश्चित करने की तरफ कदम बढ़ा चुकी है। आज अगर दुनिया को भारत पर भरोसा है तो इसमें प्रवासी भारतीयों का बड़ा योगदान है। प्रवासी भारतीयों ने अपनी पहचान को मजबूत किया है। आज भी वे अपनी जड़ों से जुड़े हैं और भारत की माटी की सुगन्ध नहीं भूले हैं। कठिन समय में भी उन्होंने सेवाभाव बनाए रखा है। भारत को प्रवासी भारतीयों की शक्ति पर गर्व है।