ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। रेगिस्तान क्षेत्र में भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स द्वारा पहली बार 3डी-प्रिंटेड स्थायी सुरक्षा कवच का निर्माण किया गया है। इन सुरक्षा ठिकानों का छोटे हथियारों से लेकर टी90 टैंक की मुख्य बंदूक तक के हथियारों के जरिए ट्रायल किया गया है।
भारतीय सेना के इंजीनियर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह के अनुसार ये धमाकों के झेलने में सक्षम हैं तथा इन्हें 36 से 48 घंटों के भीतर दोबारा खड़ा किया जा सकता है। यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित भी किया जा सकता है। साथ ही उन्होंने बताया कि पूर्वी लद्दाख में भी इसी तरह के स्थायी बचाव के लिए परीक्षण किया गया है और उपयोगी पाया गया है।
सेना के आधुनिकीकरण के संबंध में थल सेना के उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बी. एस. राजू ने कहा कि भारतीय सेना स्वदेशी आधुनिकीकरण के लिए तैयार है और उसने रक्षा निर्माण में निजी क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया है। बेंगलुरु के एएससी सेंटर एंड कॉलेज, में ‘आर्मी डिज़ाइन ब्यूरो’ (एडीबी) के एक क्षेत्रीय प्रौद्योगिकी नोड (आरटीएन-बी) के उद्घाटन समारोह में लेफ्टिनेंट जनरल बी. एस. राजू ने यह बात कही।