नई दिल्ली। 29 दिसंबर को साओ पाउलो में फुटबॉल के दिग्गज पेले की मौत ने खेल जगत को शोकाकुल कर दिया है। आधी दुनिया से दूर, कोलकाता में श्याम थापा अपने आंसू नहीं रोक पाए क्योंकि उनका उस लीजेंड के साथ एक विशेष संबंध था, लगाव था। 72 वर्षीय मोहन बागान के खिलाड़ी ने 1977 में कोलकाता में सितंबर की दोपहर में पेले की कॉसमॉस टीम के खिलाफ गोल दागा था।
ब्लिट्ज इंडिया से विशेष बात करते हुए श्याम ने कहा कि जब उन्होंने यह खबर सुनी कि वह पेले के खिलाफ खेलेंगे तो रोमांचित और भावुक हो गए थे। ‘जिस क्षण मुझे पता चला कि कॉसमॉस क्लब मोहन बागान के खिलाफ खेलने के लिए कोलकाता आएगा, मैं मुश्किल से सो सका। मैं उस महान व्यक्ति को देखने के लिए उत्सुक था। पेले उस समय 38 वर्ष के थे। श्याम ने कहा कि दार्जिलिंग, कोलकाता और सिलीगुड़ी के उनके दोस्त दुनिया के सबसे बड़े खिलाड़ी को देखना चाहते थे।
प्रसिद्ध ईडन गार्डन मैच स्थल था। 90,000 से अधिक की भीड़ थी। जिन दर्शकों को सीटें नहीं मिलीं, वे आस-पास की इमारतों की छतों और पेड़ों पर चढ़ गए। मैच शुरू होने के बाद काॅसमोस की ओर से कार्लोस अल्बर्टो ने गोल कर किया। बमुश्किल पांच मिनट में श्याम ने इतिहास रचते हुए अपने लिए बराबरी हासिल कर ली। श्याम ने बताया, मैंने कार्लोस के टैकल को टाल दिया था, जो उस समय के सर्वश्रेष्ठ रक्षकों में से एक थे। मैच समाप्त हो गया लेकिन असली खेल शाम को खेला गया जब दोनों टीमों के सदस्यों ने ग्रैंड होटल में पार्टी की। श्याम ने पेले से हाथ मिलाने के लिए अपना रास्ता बनाया, पहले तो पेले ने भारतीय से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया क्योंकि श्याम ने पेले की टीम के खिलाफ गोल किया था। कुछ क्षण बाद पेले मेरे पास आए और मुझे गले लगाकर कहा कि मेरा भविष्य उज्जवल है।
इसके बाद पूछा कि मैंने कौन से नंबर की जर्सी पहनी है, मैंने कहा, नंबर 22 है। उन्होंने कहा कि मैं इसे कभी न बदलूं। अपनी रिटायरमेंट तक, मैंने उस जर्सी नंबर को कभी नहीं बदला और मैं वह जर्सी पहनकर कई गोल करने में सफल रहा। यहां तक कि मेरी कार का नंबर, टेलीफोन नंबर, घर का नंबर भी 22 के साथ खत्म होता है। पेले के लिए मेरे मन में यही सम्मान है, श्याम ने कहा।
दुनिया के सबसे बड़े कबि्रस्तान की 9वीं मंजिल पर दफनाए गए पेले
सओ पाउलो। फुटबॉल लीजेंड पेले का 2 जनवरी को देर रात ब्राजील के सांतोस शहर में विश्व के सबसे बड़े कब्रिस्तान में अंतिम संस्कार किया गया। पेले की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें 10 मंजिला कब्रिस्तान की 9वीं मंजिल पर दफनाया गया। अंतिम यात्रा के अनुसार 2.3 लाख लोगों ने अपने चहेते और ब्राजील के गौरव के अंतिम दर्शन किए।
उल्लेखनीय है ब्राजील के महान फुटबॉलर पेले का 30 दिसंबर को 82 साल की उम्र में निधन हो गया था। पेले पेट के कैंसर से जूझ रहे थे। उनके निधन का समाचार आते ही पूरी दुनिया के खेल जगत में मातम छा गया। उन्हें 29 नवंबर को साओ पाउलो के अल्बर्ट आइंस्टीन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कीमोथेरेपी के जरिए उनका ट्रीटमेंट किया गया, लेकिन उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा था। ब्राजील सरकार ने देश के सबसे बड़े बंदरगाह का नामकरण पेले के नाम पर किया है।