ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। मुंबई में पान वाले के पास क्यूआर कोड था, जूते वाले के पास भी। एक जगह मुझे लगा लोग कचौरी खा कर बिना पैसे दिए जा रहे हैं, लेकिन फिर देखा कि वे क्यूआर कोड स्कैन कर ऑनलाइन पेमेंट कर रहे थे। भारत में हो रही प्रगति पर इन शब्दों में अपनी हैरत जताते हुए पाकिस्तानी अर्थशास्त्री व प्रमुख अमेरिकी सलाहकार फर्म एशिया समूह के वाइस प्रेजिडेंट उजैर यूनुस ने कहा कि आज भारत का समय आ चुका है। उन्होंने हाल में अपनी भारत यात्रा के दौरान यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) के उपयोग, बुनियादी ढांचे में निवेश, प्रगति और भारतीयों की धार्मिक उदारता देखकर यह बात एक पाकिस्तानी यूट्यूबर से बातचीत में कही। पहली बार विस्तृत यात्रा पर भारत आए उजैर ने कहा कि वे दिल्ली, आगरा, राजकोट, गुजरात में अपने पैतृक गांव, गोवा, मुंबई घूमे। एंकर ने कहा, ‘आपकी बातों से लग रहा है पाकिस्तान से इंडिया जाना फ्यूचर में चले जाने जैसा है।’ उजैर ने जवाब दिया, ‘बिलकुल, यह भले कोई रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन बहुत बड़ा बदलाव है।’ वहीं अपने देश के हालात को विडंबनापूर्ण मानते हुए कहा कि भारत में जैम ट्रिनिटी यानी जीरो बैलेंस बैंक खाते, यूपीआई और लोगों के हाथों में इंटरनेट युक्त मोबाइल फोन को आधार कार्ड से शक्ति मिली है।
हिंदुओं ने संभाली दरगाह
मेमन समुदाय के उजैर ने बताया कि बताया कि 200-250 वर्ष पहले उनके परिवार के हिंदू पूर्वजों ने इस्लाम अपनाया था। वे गुजरात में अपने पूर्वजों के गांव बगसरा गए, जिसकी आबादी तीन हजार है। यहां शानदार स्कूल बना है। एक भी मुसलमान नहीं है, लेकिन गांव के बाहर अपने पूर्वजों के समय की दरगाह देखकर वे आश्चर्यचकित रह गए। हिंदुओं ने इसकी बेहद सुंदर सार-संभाल की है। इस दरगाह पर बड़ी संख्या में हिंदू, ईसाई, सिख मन्नतें मांगने आते हैं। उन्होंने ही इसे बचा कर रखा है।