नई दिल्ली। अत्यधिक डे ड्रीमिंग वर्तमान से दूर भागने की एक मानसिक अवस्था है। यह अवसाद पैदा करती है। अत्यधिक डे ड्रीमिंग आपका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित कर सकती है। यह अक्सर चिंता से जुड़ी होती है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि यह अपराधबोध, डिस्फोरिया और आपके ध्यान को नियंत्रित करने में असमर्थता की भावनाओं से जुड़ा हो सकता है।
दिख सकते हैं ये दुष्रभाव
राष्ट्र को दी ये सौगात
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- डिप्रेशन
- सामान्य चिंता
- सामाजिक चिंता
- पृथक्क रण
- अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी)
- जुनूनी-बाध्यकारी विकार (ओसीडी)
अत्यधिक डे ड्रीमिंग के निदान के लिए कोई औपचारिक मानदंड नहीं हैं। आप अनुभव कर सकते हैं
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- अति व्यस्तता
- मूड संशोधन
- बढ़ती सहनशीलता
- वास्तविकता से हटना
- आंतरिक निराशा
डे ड्रीमिंग के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं
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- गहन, ज्वलंत डे ड्रीमिंग जिनमें एक कहानी, कथानक और सोचे-समझे पात्र हैं
- वास्तविक दुनिया की घटनाओं द्वारा ट्रिगर किए गए डे ड्रीम
- अनियंत्रित चेहरे के भाव, दोहराए जाने वाले शरीर की हरकत या डे ड्रीमिंग के दौरान जोर से बोलना या फुसफुसाना
डे ड्रीमिंग जो दिन में कई मिनट से लेकर घंटों तक चलते हैं
- डे ड्रीमिंग बनाए रखने की तीव्र या अनियंत्रित इच्छा
- ध्यान केंद्रित करने और दैनिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में कठिनाई
- नींद न आना
डे ड्रीमिंग आपके जीवन में लाता है बड़ा बदलाव लेकिन अत्यधिक डे ड्रीमिंग एक समस्या बन जाता है। आपकी चिंता या अवसाद-उत्प्रेरण ट्रिगर को प्रबंधित करने में आपकी मदद करने के बजाय, यह आपके डे ड्रीमिंग में भागने के आदी होने की संभावना को बढ़ा सकता है।
चूँकि अपने डे ड्रीमिंग में भागना फायदेमंद होता है, आप और आगे भागने की तीव्र इच्छा महसूस कर सकते हैं। लेकिन, यह पलायनवाद व्यक्तित्व को नाजुक करने का कारण बन सकता है। डे ड्रीम देखना आम बात है और लगभग हर कोई इसे किसी न किसी बिंदु पर करता है। लेकिन जब डे ड्रीमिंग व्यसनी हो जाए तो आपके विचारों को वास्तविकता में जिम्मेदारियों और रिश्तों से बचने की हद तक पलायनवादी बना देता है जो अवसाद, अवनति, निराशा, मानसिक विकृति का कारण बन सकता है। यदि आपको लगता है कि अत्यधिक डे ड्रीमिंग आपके दैनिक जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है, तो आपको अपने डॉक्टर या मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक से तत्काल बात करनी चाहिए।
दुनिया में 20 करोड़ डे ड्रीमर
दुनियाभर में 20 करोड़ लोग डे-ड्रीमिंग के नशे से हैं पीड़ित। रोजाना 30 प्रतिशत समय करते हैं बर्बाद। ब्रिटेन में हुए नए शोध से पता चला है कि ज्यादा वक्त तक डे-ड्रीमिंग एक खतरनाक स्थिति है, जो लगातार बढ़ती जा रही है। लोग जितने ज्यादा परेशान हो रहे हैं, उतना ही ज्यादा ख्यालों में डूबने लगते हैं। शोध में शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स की एसोसिएट लेक्चरर ग्यूलिया पोरियो बताती हैं- दुनियाभर में 2.5 प्रतिशत लोग यानी 20 करोड़ लोग डे-ड्रीमिंग की अधिकता से गुजर रहे हैं। इसे मैलाडेप्टिव डे-ड्रीमिंग यानी ख्यालों में रहने का नशा कहते हैं।
एक आम इंसान रोज अपना 30 फीसद समय जागते हुए सपने देखने में ही बर्बाद कर देता है। अपने आसपास एक तरह की ख्याली दुनिया बुनकर उसमें लंबे समय तक डूबे रहना यदि आपको फर्जी सुख दे रहा है तो जान लीजिए, ये मर्ज है, इसके नुकसान की लिस्ट लंबी है।
एक शोध से पता चला है कि मैलाडेप्टिव डे-ड्रीमिंग से पीड़ित आधे लोगों को ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर भी है। ऐसे लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव हो रहे हैं।
डे ड्रीमिंग के कुछ फायदे भी
ऐसा नहीं है कि डे-ड्रीमिंग के नुकसान ही हैं। कुछ मायनों में इसके फायदे भी हैं। अगर यह नशे की तरह हावी न हो तो तनाव से निकालने में मदद करती है। शोध से पता चला है कि अकेलेपन के लिए यह वरदान है और बोरियत दूर करती है। समस्याएं सुलझाने में मदद करती है। कई बार क्रिएटिविटी बढ़ाती है। किसी हादसे या बड़े आघात से लगे सदमे से उबारती है। डे-ड्रीमिंग से इंसान कुछ देर के लिए खुद को भुलावे में रख पाता है। इससे कई चीजें भुलाने में मदद मिलती है।