ब्लिट्ज ब्यूरो
नोएडा। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का क्षेत्र बढ़ा कर अब 6200 हेक्टेयर कर दिया गया है। इसमें 1200 हेक्टेयर एरिया और बढ़ाया गया है ताकि भविष्य की जरूरतें पूरी की जा सकें। एयरपोर्ट की 1200 हेक्टेयर जमीन पर अलग से एमआरओ बनाया जाएगा।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाले यात्री विमानों की ओवर हालिंग भी एयरपोर्ट के पास ही होगी। यहां पर एशिया का सबसे बड़ा एमआरओ हब बनाया जाएगा। हब के पास ही विमानों के कलपुर्जे बनाने वाली कंपनी लगाई जाएगी। एमआरओ का एरिया यमुना अथॉरिटी के मास्टर प्लान 2041 में बढ़ाया गया है। पहले नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए करीब 5 हजार हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जानी थी। पहले चरण में 1334 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की गई। अब दूसरे चरण के लिए 1,365 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जा रही है। जमीन अधिग्रहण करने के लिए 74 प्रतिशत से अधिक किसानों से सहमति मिल चुकी है।
लाजवाब होगा जेवर एयरपोर्ट
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण 4 चरण में किया जाना है। पहला चरण 2024 तक पूरा होगा। इसमें 1334 हेक्टेयर जमीन का विकास होगा। पहले चरण में 12 मिलियन क्षमता पैसेंजर के साथ निर्माण कार्य शुरू होगा। दूसरे चरण में 1,365 हेक्टेयर जमीन का विकास होगा। दूसरा चरण साल 2032 तक पूरा होगा। तीसरा चरण 2037 और चौथा चरण 2050 तक पूरा होगा। चौथा चरण 70 मिलियन पैसेंजर का होगा। तीसरे चरण में 1318 और चौथे चरण में 735 हेक्टेयर जमीन का विकास होगा। इस तरह चारों चरण को मिलाकर नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट पर 29,560 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगेे।
अभी तक 870 करोड़ रुपए खर्च
पहले चरण में परियोजना के लिए 5,800 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित है। इसमें से अब तक 15 फीसद यानी 870 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग का निर्माण करने के लिए खुदाई का पूरा काम हो गया है। एयर ट्रेफिक कंट्रोल टावर बनाने के लिए भी खुदाई 100 फीसद हो गई है।
उत्तरी रनवे बनाने के लिए जमीन को साफ, समतल और ठोस किया जा चुका है। विगत 11 सितंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जेवर एयरपोर्ट साइट पर पहुंचे थे और निर्माण कार्यों का मुआयना किया था।